पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नंदीग्राम चुनाव परिणाम में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। लेकिन इसकी सुनवाई से पहले शुक्रवार को ममता ने याचिका पर सुनवाई करने वाले जज पर सवाल खड़े किए हैं और उन्हें ‘भाजपाई’ बताया है।
ममता बनर्जी के वकील ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर नंदीग्राम से भाजपा के शुभेंदु अधिकारी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली उनकी याचिका दूसरी पीठ को सौंपे जाने का अनुरोध किया। पत्र में यह आरोप लगाया गया है कि ममता की याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति कौशिक चंदा ‘‘भाजपा के सक्रिय सदस्य’’ रह चुके हैं और चूंकि चुनाव याचिका पर फैसले के राजनीतिक निहितार्थ होंगे, इसलिए यह अनुरोध किया जाता है कि विषय को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश द्वारा दूसरी पीठ को सौंप दिया जाए।
Justice Kaushik Chanda is seen sharing a stage with BJP’s @DilipGhoshBJP. Unsurprisingly, he’s also the judge who has been assigned to hear the #Nandigram case.
As the Indian Judiciary system gets murkier day by day, will there be any justice in this case? Only time will tell. pic.twitter.com/eE0W8pzbfw
— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) June 18, 2021
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख के वकील ने पत्र में यह भी कहा कि ममता ने माननीय न्यायाधीश के नाम की कलकत्ता के माननीय उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में मंजूरी देने पर भी आपत्ति जताई थी और इस तरह संबद्ध न्यायाधीश की ओर से पूर्वाग्रह की आशंका है।
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ममता के वकील ने अनुरोध किया है कि चुनाव याचिका को दूसरी पीठ को सौंपे जाने के लिए पत्र को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया जाए, ताकि किसी पूर्वाग्रह से बचा जा सके। न्यायमूर्ति कौशिक ने नंदीग्राम से शुभेंदु अधिकारी के निर्वाचन को अवैध एवं अमान्य घोषित करने की ममता की याचिका पर सुनवाई दिन में 24 जून तक के लिए स्थगित कर दी। शुभेंदु वर्तमान में राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं।
इस बीच, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष के साथ मंच साझा करते कौशिक की तस्वीर साझा की। तृणमूल की राज्य इकाई के महासचिव कुणाल घोष ने कहा कि न्यायाधीश को मामले की सुनवाई से हटाया जा सकता है। पार्टी की लोकसभा सांसद मोहुआ मोइत्रा ने भी इस मुद्दे पर ट्वीट किया है। हालांकि भाजपा ने कहा कि न्यायपालिका का सम्मान किया जाना चाहिये।
यह पूछे जाने पर कि क्या न्यायमूर्ति चंदा भाजपा के सदस्य हैं, घोष ने स्वीकार कि न्यायाधीश बनने से पहले, न्यायमूर्ति चंदा ने पार्टी के कार्यक्रमों में भाग लिया था। घोष ने कहा “मैं बहुत से लोगों के साथ मंच साझा करता हूं। उन्होंने वकील रहते हमारे साथ मंच साझा किया तो इसमें क्या गलत है? अब, वह न्यायाधीश हैं। हमें न्यायपालिका का सम्मान करना चाहिये।”
उन्होंने कहा कि तस्वीरें शायद “2015 के आसपास” की हैं। “इसमें क्या गलत है।” वहीं, वकीलों के एक समूह ने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख की चुनाव याचिका न्यायमूर्ति कौशिक को सौंपे जाने को लेकर उच्च न्यायालय के सामने प्रदर्शन किया।
एक वकील ने कहा, ‘‘हमारा न्यायाधीश से कोई व्यक्तिग द्वेष नहीं है लेकिन वह एक राजनीतिक पार्टी से जुड़े रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि न्यायाधीश को खुद ही ममता की याचिका पर सुनवाई से अलग हो जाना चाहिए।
(भाषा इनपुट के साथ)