पश्चिम बंगाल में दूसरे चरण में गुरुवार को चार जिलों की 30 विधानसभा सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे, लेकिन सभी की निगाहें छोटे से एक कस्बे नंदीग्राम पर टिकी हैं। बंगाल के सियासी जंग की धुरी बन उठी इस विधानसभा सीट पर अंतिम दौर के प्रचार के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बीते चार दिन से डटी हैं। वे मतदान के दिन तक वहीं रहेंगी। उनके प्रतिद्वंद्वी शुभेंदु अधिकारी के लिए प्रचार में गृहमंत्री अमित शाह, फिल्म अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल समेत राष्ट्रीय स्तर के तमाम नेता पहुंचे हुए हैं।

प्रचार के आखिरी दिन इलाके में तनाव चरम पर रहा। कई जगह भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता आमने-सामने आ गए। सुरक्षा बलों ने हालत संभाली। कुछ जगह ममता बनर्जी का काफिला जाते देख भाजपा समर्थकों ने जय श्रीराम का नारा लगाया। बाद में सोनाचूड़ा की जनसभा में ममता बनर्जी ने मतदाताओं से अपील की कि ठंडे दिमाग से मतदान करें। नंदीग्राम को बंगाल की राजनीति में बदलाव का प्रतीक माना जाता है। वर्ष 2007 में जमीन अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन और आंदोलनकारियों की पुलिस के साथ झड़प में 14 लोगों की मौत की वजह से इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां मिली थीं। वहां के आंदोलन की बंगाल में ममता बनर्जी के सत्ता तक पहुंचने में अहम भूमिका रही। नंदीग्राम में ममता बनर्जी और शुभेंदु- दोनों ही उस आंदोलन की विरासत पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। यहां से वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव में शुभेंदु ने तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर नंदीग्राम की सीट जीती थी। इस बार वे भाजपा से मैदान में हैं।

कभी शुभेंदु को ममता बनर्जी ने अपना सिपहसालार बनाया था। अब अपने प्रचार अभियान में ममता बनर्जी तब की हिंसा की याद दिलाते हुए उन्हें गद्दार करार दे रही हैं। वे याद दिलाती हैं, अतीत में माकपा ने पुलिस की वर्दी में गुंडे उतारे थे उन 14 में से आठ की हत्या की थी। और इस बार भाजपा के उम्मीदवार शुभेंदु ने पुलिस की वर्दी में गुंडे छिपा रखे हैं, जो मतदाताओं को डरा-धमका रहे हैं और हिंसा की ताक में हैं। दरअसल, तब मारे गए आठ लोगों के शवों पर बमों के चोट और कुल्हाड़ी टांगी के निशान मिले थे। उनमें से पांच की पहचान नहीं हो सकी थी।

नंदीग्राम में ममता बनर्जी के चुनाव एजंट शेख सूफियान का कहना है कि दीदी यहां से कम से कम 70,000 वोटों से जीतेंगी। हालांकि, वे मानते हैं कि शुभेंदु अधिकारी नंदीग्राम में ध्रुवीकरण की पुरजोर कोशिश में हैं। ममता ने ठाकुरचक में अपनी रैली में ऐसे ही विचार जाहिर किए थे। दूसरी ओर, शुभेंदु ने ममता बनर्जी को मुसलिम परस्त बताते हुए उन्हें बेगम ममता कहना शुरू किया है। इसे लेकर शेख सूफियान कहते हैं, शुभेंदु कहते हैं कि वे हिंदू हैं। अगर ऐसा है तो ममता बनर्जी क्या हैं? वे हिंदू भी हैं और एक ब्राह्मण भी। हिंदू कार्ड नंदीग्राम में काम नहीं करेगा।

सूफियान 2007 में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ नंदीग्राम आंदोलन में प्रमुख नेता और भूमि उच्छेद प्रतिशोध समिति के अध्यक्ष थे। नंदीग्राम में ममता बनर्जी के एक अन्य अहम सिपहसालार रहे छत्रधर महतो को दो दिन पहले राष्ट्रीय जांच ब्यूरो की टीम ने माओवादी हिंसा के एक मामले में गिरफ्तार किया है। नंदीग्राम हिंसा के एक मामले में ममता बनर्जी के अन्य एक सिपहसालार अबू ताहेर की गिरफ्तारी का वारंट जारी हुआ है, वे छिपते फिर रहे हैं। इसी मामले में शेख सूफियान के खिलाफ भी गिरफ्तारी का वारंट जारी हो चुका है। लेकिन चुनाव एजंट होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक लगा रखी है।

वाम उम्मीदवार की मीनाक्षी मुखर्जी को वफादार वाम मतदाताओं का कुछ समर्थन मिल रहा है। यह सीट 1982 से 2009 तक वामपंथी गढ़ रही है। दरअसल, नंदीग्राम सीट की लड़ाई यह भी तय करेगी कि क्या ममता बनर्जी की जननेत्री वाली छवि बरकरार है। यह भी तय होगा कि ममता के खिलाफ शुभेंदु की बगावत को जनता का समर्थन मिलता है या नहीं। शुभेंदु ने ममता बनर्जी को बाहरी बताने वाले पोस्टरों से इलाके को पाट दिया है। जगह-जगह उनके समर्थन में भूमिपुत्र के पोस्टर लगे हुए हैं। दूसरी ओर, शेख सूफियान के अलावा ममता के खास सिपहसालार राज्यसभा सांसद दोला सेन व पूर्व मंत्री पूर्णेंदु बसु बीते दो महीने से इलाके में डेरा डाले हुए हैं।