पार्थ चटर्जी को कैबिनेट मंत्री के पद से हटाना, उनसे सभी सरकारी और पार्टी विभागों को छीनना और उनका निलंबन और यह सबकुछ स्कूल भर्ती घोटाले में उनकी गिरफ्तारी के नौ दिनों के भीतर होना दर्शाता है कि इन फैसलों में अभिषेक बनर्जी की उंगलियों के निशान हैं। पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी की शर्मिंदगी और कथित तौर पर उनसे जुड़े परिसरों से करोड़ों की निकासी और टीएमसी के लिए अन्य झटके के आने से टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव और तेजी से उभरते सितारे अभिषेक बनर्जी के लिए आगे बढ़ने का रास्ता साफ हो गया है।

पिछले साल पश्चिम बंगाल में टीएमसी की राज्य में पुनः वापसी के बाद अभिषेक बनर्जी को मुख्य रूप से राज्य के बाहर पार्टी को बढ़ाने का काम सौंपा गया था। हाल के दिनों में उन्होंने टीएमसी के मुख्य समस्या निवारक और नीति प्रवक्ता के रूप में एक सार्वजनिक प्रोफ़ाइल पर कब्जा कर लिया है। यह वही थे जो आश्चर्यजनक घोषणा करने के लिए बाहर आयें थे कि टीएमसी, जिसने राष्ट्रपति के लिए संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार की अगुवाई की थी, वह उपराष्ट्रपति उम्मीदवार का समर्थन नहीं करेगी। ममता बनर्जी, जिनके बारे में विपक्षी नेताओं ने कहा था कि वे उनके साथ खड़े होने के लिए प्रतिबद्ध हैं, वह कहीं नहीं दिखीं।

गुरुवार को मंत्री पद से पार्थ चटर्जी को हटाए जाने के बाद, अभिषेक ने फिर से अनुशासन समिति की बैठक की, जहां पर यह निर्णय लिया गया कि वरिष्ठ नेता पार्थ चटर्जी को टीएमसी महासचिव के पद से भी हटाया जाएगा।

अपने खिलाफ हुई टीएमसी की कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए पार्थ चटर्जी ने शुक्रवार को अपनी नाराजगी नहीं छिपाई। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने सही काम किया, लेकिन मैं साजिश का शिकार हूं। पार्टी ने क्या किया, यह तो समय ही बताएगा कि यह सही है या नहीं

टीएमसी के एक दिग्गज नेता ने कहा, “संदेश स्पष्ट है खासकर शीर्ष पर पुराने गार्डों के लिए, यदि आप फिसल जाते हैं, तो पार्टी आपका हाथ पकड़ने के लिए नहीं रहेगी। नकदी की वसूली ने अभिषेक को कार्यभार संभालने की अनुमति दी। कई नेता डरे हुए हैं, लेकिन ऐसा कौन कहेगा?”