विपक्षी राजनीतिक दलों के बीच चुनावी गठजोड़ और सीटों पर तालमेल की गोपनीय सरगर्मियों के बावजूद तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से अगला विधानसभा चुनाव अकेले ही लड़ने की तैयारी करने को कहा है। इससे साफ है कि पार्टी अगले साल होने वाले इन चुनावों में किसी पार्टी के साथ गठजोड़ नहीं करेगी।
यहां तृणमूल कांग्रेस को हराने के लिए माकपा और कांग्रेस के बीच राज्य की कई सीटों पर गोपनीय तालमेल और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव रहे मुकुल राय की ओर से नई पार्टी बनाने की खबरों के बावजूद ममता ने एकला चलो की रणनीति पर ही आगे बढ़ने का फैसला किया है।
ममता ने हाल में अपने कालीघाट स्थित आवास पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ एक बैठक में कहा कि पार्टी में गुटबाजी तुरंत बंद होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस को सरकार की ओर से किए गए विकास कार्यों का राजनीतिक फायदा उठाने की रणनीति बनानी चाहिए। अगले साल होने वाले चुनावों में पार्टी को एकजुट होकर तमाम ताकतों के खिलाफ लड़ना होगा।
तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को लगता है कि ममता 21 जुलाई को यहां होने वाली शहीद रैली में अगला विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने के फैसले का एलान कर सकती हैं। पिछले चुनावों में उन्होंने कांग्रेस के साथ तालमेल कर चुनाव लड़ा था और वाममोर्चा सरकार को हटा कर कुर्सी हासिल की थी। लेकिन अब वे ऐसे किसी भी तालमेल के खिलाफ हैं।
पार्टी के नेताओं के मुताबिक, बीते चार वर्षों के दौरान तमाम नगरपालिका और पंचायत चुनावों में पार्टी के बेहतरीन प्रदर्शन ने ममता का आत्मविश्वास बढ़ा दिया है। पार्टी के एक सांसद ने कहा कि लगभग 40 फीसद वोट बैंक हाथ में होने की वजह से ममता के चुनाव प्रबंधकों को उम्मीद है कि अगले साल पार्टी को जीत के लिए किसी के सहारे की जरूरत नहीं है। पार्टी का अल्पसंख्यक वोट बैंक भी जस का तस है।
दूसरी ओर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने माकपा के साथ किसी तालमेल की संभावना से इंकार किया है। उन्होंने कहा कि इसका फैसला आलाकमान करेगा। हम अपनी ताकत के अनुरूप चुनाव लड़ेंगे। लेकिन कांग्रेस नेताओं के एक गुट की राय में ऐसे तालमेल से विपक्ष का ही फायदा होगा। कांग्रेस व माकपा का साझा वोट बैंक तृणमूल कांग्रेस के लिए एक चुनौती होगा। पार्टी के राज्यसभा सदस्य प्रदीप भट्टाचार्य का कहना है कि गठजोड़ से कांग्रेस को निश्चित तौर पर फायदा होगा। लेकिन इसका फैसला प्रदेश समिति और अखिल भारतीय समिति को करना है।