पश्चिम बंगाल में हाल में ही पंचायत चुनावों में भाजपा ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की थी। वाममोर्चा और कांग्रेस को पछाड़कर सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के तौर पर सामने आई थी। खासकर कभी नक्सलियों के गढ़ रहे जंगलमहल के इलाकों में बीजेपी ने जबरदस्त सफलता हासिल की थी। आदिवासी समुदाय के लोगों ने बीजेपी का पुरजोर समर्थन किया था। झारग्राम और पुरुलिया में पार्टी ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया था। तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इन दोनों जिलों में पार्टी के प्रदर्शन से बेहद नाराज हैं। उन्होंने 21 जून को पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की थी। इसमें सीएम ममता ने स्पष्ट तौर पर चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा कि कई नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व के निर्देशों की अवहेलना करते हुए अपने-अपने उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा था। ममता ने धमकी देने वाले अंदाज में कहा कि वह किसी को नहीं बख्शेंगी। तृणमूल प्रमुख ने 10 हजार से ज्यादा जनप्रतिनिधियों और पार्टी के सभी प्रमुख नेताओं की मौजूदगी में यह बात कही। बीजेपी ने इन दोनों जिलों में एक तिहाई से ज्यादा सीटें हासिल की थीं। हालांकि, तृणमूल कांग्रेस ने यहां भी सबसे ज्यादा सीटों पर कब्जा जमाया था।

अब खुद रखेंगी नजर: झारग्राम और पुरुलिया में राजनीतिक जमीन खोने से सीएम ममता बनर्जी पार्टी नेताओं से बेहद नाराज हैं। उन्होंने कहा कि अब वह खुद झारग्राम में खोई जमीन वापस लाने की मुहिम की निगरानी करेंगी। ममता ने कहा कि जब तक वह खुद इसमें दखल नहीं देती हैं, तब तक इस जिले की जिम्मेदारी पार्थ चटर्जी के पास रहेगी। पार्थ चटर्जी ममता के विश्वस्त होने के साथ ही तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भी हैं। बता दें कि ममता बनर्जी चूड़ामणि महाता को पिछड़ी जाति कल्याण मंत्री पद से पहले ही हटा चुकी हैं। पार्टी नेताओं के सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पार्टी के कुछ नेता खुद को ही कानून समझने लगे हैं। वे लोग पार्टी लाइन से अलग जाकर न केवल काम करने लगे हैं, बल्कि फैसले भी लेने लगे हैं।