पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का तीसरा दिन है। इस बीच 80,681 मतदान केंद्रों में से सत्तारूढ़ टीएमसी सहित राजनीतिक दल अभी तक आधे बूथों पर अपने बूथ स्तरीय एजेंटों (BLA) के नाम रजिस्टर नहीं कर पाए हैं। चुनाव आयोग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, टीएमसी ने 35,364 बीएलए रजिस्टर किए हैं जबकि भाजपा 37,700, सीपीआई (एम) 29,160, कांग्रेस 6,999 जबकि फॉरवर्ड ब्लॉक ने सबसे कम 1,091 बीएलए पंजीकृत किए हैं।
बीएलए (एक राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त एजेंट) चुनाव आयोग के बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) के साथ सीधे काम करता है। उनकी भूमिका मतदाता डेटा की पुष्टि करना, मृत या स्थानांतरित मतदाताओं जैसी गड़बड़ियों की रिपोर्ट करना और जमीनी स्तर पर अपनी पार्टी के हितों की रक्षा करना है। आश्चर्य की बात है कि विपक्षी भाजपा वर्तमान में सबसे आगे है और बूथ स्तर पर संगठनात्मक गहराई पर महत्वपूर्ण ध्यान दे रही है। विपक्षी भाजपा और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के बीच अंतर ने अटकलों को हवा दी है।
TMC कभी SIR नहीं चाहती- भाजपा
इस मुद्दे पर बात करते हुए भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने कहा कि टीएमसी की कम बीएलए संख्या एसआईआर प्रक्रिया को पूरी तरह से समर्थन देने की उनकी अनिच्छा से संबंधित है। सिन्हा ने इंडियन एक्सप्रेस से टीएमसी कभी एसआईआर नहीं चाहती थी इसलिए स्वाभाविक रूप से उन्होंने पर्याप्त बीएलए नहीं बनाए। उनके पास कार्यकर्ता और संगठन हैं। वे चाहते तो हर जगह बीएलए दे सकते थे। हर जगह बीएलओ न रखना उनकी रणनीति है। दरअसल, कुछ बीएलओ हैं जो पार्टी कार्यालय से एसआईआर फॉर्म बांट रहे हैं। चुनाव आयोग को ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। जहां तक भाजपा का सवाल है, कई अल्पसंख्यक इलाके ऐसे हैं जहां हमारे पास ज़मीनी स्तर पर कार्यकर्ता नहीं हैं। एक-दो हैं भी तो वे स्पष्ट कारणों से खुद को भाजपा के बीएलए के रूप में पहचानना नहीं चाहेंगे।”
पढ़ें- बंगाल में पेड़ से लटका मिला शख्स का शव, परिवार ने SIR के डर को बताया जिम्मेदार
टीएमसी की कम बीएलए संख्या उनकी आधिकारिक बीएलओ पर निर्भरता के कारण- सीपीआई (एम)
सीपीआई (एम) नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि टीएमसी की कम बीएलए संख्या उनकी आधिकारिक बीएलओ पर अत्यधिक निर्भरता के कारण है। माकपा नेता ने कहा , “मुख्यमंत्री ने पहले कहा था कि जब तक वह जीवित हैं, राज्य में एसआईआर लागू नहीं होने देंगी। अब उन्हें एहसास हो गया है कि कोई और रास्ता नहीं है। जहां तक बीएलए का सवाल है, टीएमसी को लगता है कि बीएलओ उनकी अपनी पार्टी के कार्यकर्ता हैं। इसलिए, बीएलए के रूप में किसी अतिरिक्त व्यक्ति की कोई आवश्यकता नहीं है। इसी सोच के साथ उन्हें और बीएलए जोड़ने की ज़रूरत महसूस नहीं होती। लेकिन, अगर जमीनी स्तर पर यह सच साबित होता है तो बीएलओ के लिए मुश्किल समय आने वाला है।”
टीएमसी ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा साझा किया गया डाटा पुराना
दूसरी ओर, टीएमसी ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा साझा किया गया डाटा पुराना है। भाजपा ज़्यादातर बूथों पर बीएलए तैनात नहीं कर पाई है क्योंकि वहां उनका कोई संगठन या कार्यकर्ता नहीं है। उनके नेता खुद इस बात से वाकिफ हैं। कांग्रेस मालदा, मुर्शिदाबाद और कुछ अन्य ज़िलों में ही मौजूद है। माकपा ने अपने ज़्यादातर कार्यकर्ताओं को भाजपा में खो दिया है। मेरे गृह क्षेत्र जादवपुर में, बीएलओ के साथ टीएमसी और माकपा के बीएलए भी थे। भाजपा के बीएलए नदारद थे। ऐसा इसलिए है क्योंकि यहाँ भाजपा का कोई कार्यकर्ता नहीं है। हमने सभी बूथों पर बीएलए तैनात कर दिए हैं।
पढ़ें- पश्चिम बंगाल में केंद्रीय मंत्री के काफिले पर हमला, दो भाजपा नेता घायल
