Bharat Bandh Today, 08th January 2019: आज और कल (8-9 जनवरी) को मोदी सरकार के खिलाफ वामपंथी संगठनों से जुड़े दस ट्रेड यूनियनों ने देशव्यापी हड़ताल का आह्वन किया है। जानकारी के मुताबिक इस बंद का रेल और सड़क परिवहन सहित आम जनजीवन पर भी असर देखने को मिलेगा। ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि इस हड़ताल में किसानों और बैंक कर्मियों के भी शामिल होने की संभावना है। वहीं प्राइवेट बैंकों के इस हड़ताल से दूर रहने की उम्मीद है। एक तरफ जहां पूरे देश में हड़ताल की शुरुआत आज से है तो वहीं पश्चिम बंगाल इस हड़ताल से एक दम दूर रहेगा।

पश्चिम बंगाल में नहीं होगी हड़ताल: देश व्यापी हड़ताल पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कहना है कि ट्रेड यूनियनों की हड़ताल का प्रदेश पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि मैं इस पर एक भी शब्द नहीं बोलना चाहती हूं। हमने किसी भी बंद का समर्थन देने का फैसला नहीं किया है। अब बहुत हो गया। पिछले 34 वर्षों में वाम मोर्चे ने बंद का आह्वन कर पूरे राज्य को बर्बाद कर दिया है। अब कोई बंद नहीं होगा। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने घोषणा की है कि मंगलवार और बुधवार को अपने कर्मचारियों के आधे दिन की छुट्टी या आकस्मिक अवकाश लेने पर रोक लगाएगी।

क्यो है हड़ताल: दरअसल वामपंथी संगठन ने ट्रेड यूनियन कानून 1926 में संशोधन का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार कथित पारदर्शिता के नाम पर गलत कर रही है। इससे बंधुआ मजदूरी को खतरा पैदा होगा। इस वजह से वामपंथी संगठनों से जुड़ी दस ट्रेड यूनियनों ने 48 घंटे के लिए देशव्यापी हड़ताल का आह्वन किया है।

कौन से 10 ट्रेड यूनियन हैं शामिल: 10 ट्रेड यूनियनों ने संयुक्त रूप से यह राष्ट्रव्यापी बंद बुलाया है, जिसमें आईएनटीयूसी, एआईटीयूसी, एचएमएस, सीआईटीयू, एआईयूटीयूसी, एआईसीसीटीयू, यूटीयूसी, टीयूसीसी, एलपीएफ और एईवीए शामिल हैं। रोचक बात है कि इन सभी यूनियंस को लगभग सभी केंद्रीय कर्मचारियों, राज्य कर्मचारियों, बैंक-बीमाकर्मियों, टेलीकॉम कर्मचारियों और अन्य कर्मचारियों के स्वतंत्र महासंघों का समर्थन मिल चुका है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कर्नाटक के बेंगलुरू शहर में भी चार यूनियनों ने भी इस राष्ट्रव्यापी बंद को समर्थन देने का फैसला किया है। इनमें बेंगलुरू मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (बीएमटीसी) और कर्नाटक स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (केएसआरटीसी) भी शामिल हैं, जबकि ऑटो रिक्शा और कैब चालक भी इस हड़ताल का हिस्सा बन सकते हैं।