बिहार में विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही सभी राजनीतिक दलों ने तैयारियां तेज कर दी हैं। बिहार की राजनीति में इस बात की चर्चा लोगों के बीच है कि चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर के आने से किस राजनीतिक दल को नुकसान होगा?
क्या प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी नीतीश कुमार की अगुवाई वाले एनडीए को नुकसान पहुंचाएगी या फिर उनके चुनाव लड़ने से महागठबंधन को नुकसान होगा? वोट वाइब नाम के सर्वे ने इन सवालों के जवाब देने की कोशिश की है।
प्रशांत किशोर की पार्टी बिहार में सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है। बिहार में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं।
महागठबंधन के 5% वोट काटे तो…
वोट वाइब सर्वे के मुताबिक, अगर जन सुराज को 10% वोट मिलते हैं और इसमें से वह महागठबंधन के 5% वोटों को काट लेती है तो महागठबंधन को सिर्फ 34% वोट मिलेंगे और एनडीए को मिलने वाले वोट 42% होंगे और वह फिर से सरकार बना सकेगा।
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एनडीए के 5% वोट काटे तो…
अगर प्रशांत किशोर की पार्टी एनडीए के पांच प्रतिशत वोट काट लेती है तो इससे महागठबंधन को फायदा होने की बात कही गई है। ऐसी स्थिति में इंडिया गठबंधन को 39% वोट मिल सकते हैं जबकि एनडीए की अगुवाई वाले नीतीश कुमार को 37% वोट मिलेंगे।
सर्वे यह भी कहता है कि अगर जन सुराज पार्टी एनडीए और महागठबंधन दोनों से 2.5% वोट हासिल कर लेती है और छोटी पार्टियों के 5% वोट काटती है तो इससे एनडीए को फायदा होगा। तब एनडीए को 39% वोट मिलेंगे और इंडिया गठबंधन को 36%। इसका मतलब नीतीश कुमार की अगुवाई वाला एनडीए फिर से राज्य में सरकार बना सकता है।
युवाओं का समर्थन मिलेगा?
सर्वे कहता है कि 18 से 24 साल की उम्र के 20% युवाओं का समर्थन प्रशांत किशोर की पार्टी को मिल सकता है। प्रशांत किशोर अलग अलग जातीय समुदायों से उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं जिससे दोनों बड़े गठबंधनों के लिए खतरा पैदा हो सकता है।