विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी को महागठबंधन ने उपमुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है। वह खुद को ‘मल्लाह का बेटा’ कहलाना पसंद करते हैं और निषाद समाज की आवाज उठाते हैं। मुकेश सहनी के भाई संतोष साहनी गौड़ाबोराम सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।

दरभंगा विधानसभा क्षेत्र के यादव बहुल गांव नेउरी टोला में ज्यादातर लोगों का कहना है कि वे इस बार आरजेडी को वोट देंगे। 60 साल के जवाहर सहनी कहते हैं कि सड़क-बिजली तो नीतीश कुमार ने दी है लेकिन हम आरजेडी को मुकेश सहनी की वजह से वोट देंगे क्योंकि वह हमारी जाति के हैं और आरजेडी के जीतने पर डिप्टी सीएम बनेंगे।

35 साल के सुरेंद्र सहनी कहते हैं कि सारे मल्लाह सहनी को वोट नहीं देंगे और वह एनडीए को वोट देंगे।

‘बिहार के अस्पतालों में लोग जीने नहीं मरने जाते हैं’

हम जाति क्यों न देखें…

यहां से करीब 300 किलोमीटर दूर पश्चिम चंपारण के बगहा इलाके में रहने वाले 37 साल के राजेश सहनी कहते हैं, “जब सब जाति देख रहे हैं तो हम क्यों न देखें? पहले हम सहनी को वोट नहीं देने वाले थे लेकिन उनके उप मुख्यमंत्री घोषित होने के बाद हमने उन्हें वोट देने का फैसला किया।”

18 सीटों पर लड़ रही वीआईपी

अति पिछड़ा समुदाय के वोटों को ध्यान में रखते हुए आरजेडी ने वीआईपी को 18 सीटें दी हैं। मल्लाह समुदाय बिहार में कुल आबादी का केवल 2.6% है। बिहार में 2023 की जातीय जनगणना के मुताबिक राज्य में निषाद समुदाय की आबादी करीब 9.6% है और इसमें मल्लाह, बिंद, मांझी, केवट और तुरहा -उप जातियां शामिल हैं। यह जातियां आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ी हैं।

बिहार में आरजेडी की ताकत यादव-मुस्लिम समीकरण के आधार पर है और यह कुल 32 % है लेकिन उसे लगभग 7 से 8% और वोट चाहिए। अगर उसे निषाद समुदाय का समर्थन मिल जाता है तो यह अंतर खत्म हो सकता है।

‘बाहर निकल यहां से, उठाकर फेंक दो इसे’

दरभंगा, मधुबनी, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण तथा सीवान जिलों में, जहां वीआईपी सक्रिय है, मल्लाह समुदाय एनडीए से आरजेडी की ओर जाने का संकेत दे रहा है।

मुजफ्फरपुर जिले के रेवा गांव में रहने वाले राम इकबाल सहनी कहते हैं, “नीतीश कुमार के राज में सब कुछ पहले से बेहतर है लेकिन अगर सहनी उप-मुख्यमंत्री बनते हैं तो शायद वे हमारे समुदाय के लिए कुछ करें। ज्यादातर मल्लाह गरीब हैं।”

दरभंगा-मुजफ्फरपुर इलाके से बाहर वीआईपी की पकड़ कमजोर है।

बॉलीवुड में सेट डेकोरेटर थे सहनी

मुकेश सहनी मूल रूप से दरभंगा के रहने वाले हैं और राजनीति में आने से पहले बॉलीवुड में सेट डेकोरेटर थे। उन्होंने 2018 में वीआईपी पार्टी बनाई हालांकि वह 2013 से राजनीति में सक्रिय थे। 2019 में मुकेश सहनी ने महागठबंधन के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन तीनों सीटों पर उन्हें हार मिली।

मुकेश सहनी खुद खगड़िया से ढाई लाख वोटों से हार गए थे। 2020 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी बीजेपी के साथ थी, वह 11 सीटों पर लड़ी और चार पर उसे जीत मिली लेकिन बाद में पार्टी के तीन विधायक बीजेपी के साथ चले गए।

बिहार में महागठबंधन को मुकेश सहनी से काफी उम्मीदें हैं। देखना होगा कि क्या वाकई मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम का उम्मीदवार घोषित करने से महागठबंधन को फायदा होगा?

‘राहुल गांधी की भाषा बिहार की गरीबी से भी ज्यादा बदहाल’