कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह की अध्यक्षता वाली राज्यसभा आचार समिति ने विजय माल्या के मुद्दे का संज्ञान लिया जो कथित तौर पर नौ हजार करोड़ रुपए से अधिक के बैंक ऋण डिफाल्टर हैं। विपक्षी सदस्यों की ओर से दिए गए नोटिस पर कार्रवाई करते हुए उच्च सदन के सभापित हामिद अंसारी ने मामले को समिति को भेजा था। इससे पहले राज्यसभा में सोमवार को कांगे्रस ने विवादों में घिरे उद्योगपति विजय माल्या के देश छोड़ कर जाने के मुद्दे पर भारी हंगामा किया और सरकार पर लुकआउट नोटिस में बदलाव कर माल्या को भागने में मदद देने का आरोप लगाया।
कर्ण सिंह ने आचार समिति की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि माल्या से संबंधित सवाल सोमवार की सुबह सदन में उठा। सभापति ने मामला आचार समिति को भेज दिया है। हमारी बैठक का फैसला पूर्व में हुआ था। वहां दो और मुद्दे थे। अब हमने इस तीसरे मुद्दे को भी लिया है। उन्होंने कहा- हमने इसका संज्ञान लिया है। अब हम नियमों के मुताबिक इस पर आगे बढ़ेंगे।
इससे पहले राज्यसभा में सोमवार को कांग्रेस ने माल्या के देश छोड़ कर जाने के मुद्दे पर भारी हंगामा किया और सरकार पर लुकआउट नोटिस में बदलाव कर माल्या को भागने में मदद देने का आरोप लगाया। हालांकि आसन की ओर से इस मुद्दे को उठाने की यह कहकर इजाजत नहीं दी गई कि यह मामला सदन की आचार समिति में भेजा जाना चाहिए।
कांग्रेस सदस्यों के इस मुद्दे पर हंगामे और नारेबाजी के कारण शून्यकाल समाप्त होने के निर्धारित समय से पहले बैठक को करीब पांच मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया। इससे पहले कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने शून्यकाल में व्यवस्था के प्रश्न के जरिए यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि माल्या के ऊपर बैंकों का 10 हजार करोड़ रुपए बकाया है। उनके खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया गया था। तिवारी ने आरोप लगाया कि सरकार ने लुक आउट नोटिस में बदलाव कर माल्या को देश से भागने में मदद की है।
उन्होंने माल्या को पकड़कर तुरंत देश में वापस लाए जाने की मांग की। उपसभापति पीजे कुरियन ने तिवारी को सदन में यह मुद्दा नहीं उठाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि वह पहले ही इस बारे में व्यवस्था दे चुके हैं कि इस मुद्दे को सदन की आचार समिति में भेजा जाना चाहिए। कुरियन के यह कहने के बावजूद कांगे्रस के सदस्य शांत नहीं हुए। कई कांगे्रसी सदस्य माल्या को देश में वापस लाए जाने की मांग के नारे लगाते हुए आसन के समक्ष आ गए। उपसभापति ने नारा लगा रहे सदस्यों से अपने स्थानों पर वापस लौट जाने को कहा।
कांग्रेसी सदस्यों की नारेबाजी जारी रही तो उपसभापति ने हंगामे के बीच ही शून्यकाल के मुद्दे उठवाए। विभिन्न दलों के सदस्यों ने लोक महत्व के अपने मुद्दों को हंगामे के बीच ही उठाया। शून्यकाल समाप्त होने से महज पांच मिनट पहले कुरियन ने हंगामे के कारण बैठक को दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।