दिल्ली मुख्यमंत्री आवास को लेकर चला आ रहा विवाद अब और बढ़ गया है। पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सीएम आवास खाली कर दिया और वह नए घर में शिफ्ट हो गए हैं। अब विजिलेंस ने पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के विशेष सचिव समेत तीन अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया। इसमें सीएम आवास की चाबियां ना सौंपे जाने का कारण पूछा गया है। जिन दो अधिकारियों को नोटिस भेजा गया है वह केजरीवाल के कार्यकाल के दौरान सीएम कैंप ऑफिस में तैनात सेक्शन अधिकारी थे। सभी अधिकारियों को सात दिनों के भीतर अपना जवाब देने का निर्देश दिया गया है।

क्यों दिया गया नोटिस

बीजेपी ने सीएम आवास के रिनोवेशन में अनियमितताओं का आरोप लगाया था। पिछले एक साल से यह जांच के दायरे में है। इसके बाद से विजिलेंस विभाग पूरे मामले की जांच कर रहा है। इस मामले में PWD के 10 अधिकारियों को अनुशासनात्मक कार्यवाही और निलंबन का सामना करना पड़ा है। अब इस मामले की जांच सीबीआई भी कर रही है। 8 अक्टूबर को जारी अपने कारण बताओ नोटिस में सतर्कता विभाग (विजिलेंस) ने कहा कि 6 फ्लैग स्टाफ रोड पर स्थित आवास को कभी भी दिल्ली के मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास के रूप में चिन्हित नहीं किया गया है। यह मामला सीपीडब्ल्यूडी, सीबीआई और सतर्कता निदेशालय, जीएनसीटीडी के अधीन है।

इसके रिनोवेशन में की गई कथित तौर पर अनियमितताओं का मामला भी अभी लंबित है। पहले यह बंगला तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आवंटित किया गया था। इसमें वह अपने परिवार के साथ रहे थे। नोटिस के अनुसार, मुख्यमंत्री के रूप में केजरीवाल के इस्तीफे के बाद सीएम के अतिरिक्त सचिव रामचंद्र एम ने 4 अक्टूबर को पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव को एक नोट दिया। इसमें कहा गया कि बंगला वर्तमान मुख्यमंत्री आतिशी को आवंटित किया जाए। इसके बाद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री के आवास को खाली करने और पीडब्ल्यूडी को चाबियां सौंपने से संबंधित दस्तावेज और अन्य औपचारिकताओं के लिए अपने अधिकारी को नियुक्त किया।

विजिलेंस ने बताया नोटिस का कारण

विजिलेंस ने कहा कि इस बंगले के निर्माण में की गई अनियमितताओं का मुद्दा अभी भी जांच के दायरे में है। इसलिए अधिकारियों को इस बंगले और उसके अंदर मौजूद विभिन्न वस्तुओं की लिस्ट बनानी पड़ सकती है। पीडब्ल्यूडी ने इस बारे में विशेष सचिव को लिखा था, लेकिन उन्होंने पीडब्ल्यूडी के निर्देशों के बावजूद चाबियां नहीं सौंपी हैं। अधिकारियों को सरकारी भवन की चाबियाां नहीं सौंपने से संबंधित अधिकारियों को कब्ज़ा नहीं सौंपा जा रहा है, जिससे भवन की सूची और उसके अंदर मौजूद वस्तुओं पर असर पड़ सकता है।