ओलंपियन हॉकी खिलाड़ी मोहम्मद शाहिद के पैतृक घर का एक हिस्सा रविवार को वाराणसी में सड़क चौड़ीकरण परियोजना के तहत ध्वस्त कर दिया गया। विपक्षी दलों के नेताओं ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई और उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए इसे शर्मनाक और देश की खेल विरासत को मिटाने का प्रयास बताया। वहीं, हॉकी खिलाड़ी की पत्नी ने कहा कि उन्हें तोड़फोड़ पर कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि उन्हें इसके लिए मुआवजा मिल चुका है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने ट्विटर पर लिखा, “पद्मश्री मोहम्मद शाहिद का घर भाजपा सरकार ने ज़मींदोज़ कर दिया। यह सिर्फ़ एक घर नहीं बल्कि देश की खेल विरासत का प्रमाण था। काशी के सम्मानित दिग्गजों का अपमान करने वाली भाजपा सरकार को जनता माफ़ नहीं करेगी।”
विपक्षी दलों ने साधा बीजेपी सरकार पर निशाना
आज़ाद समाज पार्टी के प्रमुख और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने भी भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “यह बेहद शर्मनाक है कि हॉकी के जादूगर, भारत का नाम रोशन करने वाले, पद्मश्री और अर्जुन पुरस्कार विजेता ओलंपियन मोहम्मद शाहिद का परिवार वाराणसी में हाथ जोड़कर विनती कर रहा है कि उनके घर को गिराने की तैयारी के लिए बस एक दिन की मोहलत दी जाए। लेकिन, भाजपा सरकार की बुलडोजर राजनीति में न तो मानवता बची है और न ही देश के वीरों के प्रति सम्मान।” उन्होंने आगे कहा, “1980 के मास्को ओलंपिक में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने वाले शाहिद साहब का परिवार आज सड़कों पर आ गया है। परिवार को एक सम्मानजनक घर, मुआवज़ा और सुरक्षा प्रदान की जाए।”
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हॉकी प्लेयर के परिवार ने कहा- मिल चुका है मुआवजा
वही, दूसरी ओर हॉकी खिलाड़ी की पत्नी परवीन से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें मकान ढहाने पर कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि उन्हें इसके लिए मुआवजा मिल चुका है। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि उनके दिवंगत पति की यादों को जीवित रखने के लिए उसी कचहरी इलाके में उनका स्मारक बनाया जाए। संपत्ति के नौ दावेदारों में से दो दिवंगत हॉकी खिलाड़ी (उनके आश्रित), उनके भाई-बहनों को छोड़कर सभी को घर गिराए जाने के लिए मुआवज़ा मिल गया है।
इलाके के दूसरे घर भी तोड़ दिए गए
परवीन ने बताया, “सिर्फ़ हमारा घर ही नहीं बल्कि इलाके के दूसरे घर भी तोड़ दिए गए। इस घर के नौ सह-मालिक थे—मेरे पति के छह भाई और तीन बहनें। एक बहन ने अपना दावा छोड़ दिया था जबकि आठ बहनों को मुआवज़ा मिलना था जिनमें से छह को पैसे दे दिए गए। दो भाइयों ने मुआवज़ा लेने से इनकार कर दिया क्योंकि उनका मानना था कि यह पर्याप्त नहीं था।” परवीन ने यह भी कहा कि परिवार के पास ज़मीन के मालिकाना हक़ के दस्तावेज़ नहीं थे। मास्को में 1980 के ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य रहे शाहिद का 2016 में 56 वर्ष की आयु में निधन हो गया था।
वहीं, अधिकारियों ने किसी भी तरह के पक्षपात से इनकार करते हुए कहा कि ज़मीन पर रहने वालों को काफ़ी पहले ही सूचित कर दिया गया था। तोड़फोड़ का काम संभालने वाले लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधिकारियों ने कहा कि चार मंजिला घर का केवल एक हिस्सा ही गिराया गया और उसमें रहने वालों को मुआवज़ा दिया गया।
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