टोयोटा मोबिलिटी फाउंडेशन (TMF) ने 3 मिलियन डॉलर वाले ‘सस्टेनेबल सिटीज चैलेंज’ के पांच फाइनलिस्ट्स के नामों की घोषणा की है। इस चैलेंज का फोकस है वाराणसी जैसे भीड़भाड़ वाले शहर में भीड़ को सही तरीके से संभालने के लिए नए और असरदार उपाय लाना। यह चैलेंज वाराणसी नगर निगम, चैलेंज वर्क्स और वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर तैयार किया गया है। इसका मकसद है – देश के सबसे पुराने और पवित्र शहरों में से एक, काशी में, पैदल चलने वालों और दर्शनार्थियों की आवाजाही को बेहतर बनाना और भीड़ की परेशानियों को कम करना। वाराणसी में हर साल करोड़ों श्रद्धालु आते हैं, जिससे वहां की सड़कों पर बहुत दबाव रहता है।

इस चैलेंज के लिए दुनिया भर से लोगों ने अपने इनोवेटिव आइडियाज भेजे। पहले राउंड में 10 सेमीफाइनलिस्ट चुने गए, जिन्हें 6 महीने का वक्त दिया गया ताकि वे अपने आइडियाज को ठोस रूप दे सकें। फिर एक विशेषज्ञों की टीम ने इन सभी प्रोजेक्ट्स की गहराई से जांच की और उनमें से 5 को फाइनलिस्ट चुना गया।

इन फाइनलिस्ट्स को कई कसौटियों पर परखा गया – जैसे भीड़ को संभालने की क्षमता, असर दिखाने की ताकत, उनके आइडियाज के पीछे मौजूद आंकड़े, आगे चलकर उसका विस्तार करने की संभावना और उनकी टीम की क्षमता।

जजों ने ऐसे प्रोजेक्ट्स को चुना जो बहुत ज्यादा भीड़ को बेहतर तरीके से कंट्रोल कर सकें, तंग गलियों में सुरक्षा और आने-जाने की सुविधा बेहतर बना सकें और लोगों के आने-जाने के तरीके को थोड़ा-थोड़ा बदल सकें। साथ ही उन्होंने इस बात का भी ध्यान रखा कि ये प्रोजेक्ट स्थानीय लोगों और पर्यटकों की ज़रूरतों को समझें और इन्हें जमीन पर लागू करना मुमकिन हो।

हर टीम को यह भी दिखाना था कि उनका काम लंबी अवधि तक असर करेगा और इसे मापा भी जा सकेगा — इसके लिए उन्हें साफ़-साफ़ योजना देनी पड़ी जिसमें “की परफॉर्मेंस इंडिकेटर्स (KPIs)” शामिल हों।

फाइनलिस्ट्स के नाम और उनके प्रोजेक्ट्स

  1. आर्केडिस – यह एक जानी-मानी ग्लोबल कंपनी है जो सस्टेनेबल डिज़ाइन और इंजीनियरिंग में काम करती है। इसने ‘संकल्प’ नाम का एक सिस्टम तैयार किया है, जिसमें रियल टाइम डेटा, मोबाइल टेक्नोलॉजी और एक कॉमन कम्युनिकेशन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल होगा ताकि भीड़ को स्मार्ट तरीके से संभाला जा सके।
  2. सिटीडेटा.एआई – यह कंपनी बिग डेटा और एआई के जरिए शहरों को ज्यादा स्मार्ट और सुरक्षित बनाना चाहती है। इसने ‘सिटी फ्लो’ नाम का एक क्लाउड बेस्ड प्रोजेक्ट दिया है, जो बिना कोई नया हार्डवेयर लगाए, भीड़ की स्थिति को माप सकता है, उसका विश्लेषण कर सकता है और सुलझाने के उपाय सुझा सकता है।
  3. वोजिक एआई – यह कंपनी वीडियो डेटा को रियल टाइम में समझने लायक जानकारी में बदलती है। इसने ‘बेहतर वे’ नाम से एक ऐसा प्लेटफॉर्म पेश किया है जो लोगों को सुरक्षित रास्ते दिखाएगा और प्रशासन को रियल टाइम जानकारी देगा ताकि वो भीड़ को संभाल सकें।
  4. प्रमेया कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड – ये फर्म शहरों की योजना और रणनीति पर काम करती है। इनका ‘नई चाल’ नाम का प्रोजेक्ट डिजिटल और फिजिकल दोनों तरीकों से मदद करेगा – जैसे चैटबॉट्स, मोबाइल ऐप्स, संकेत देने वाले बोर्ड्स और एक खास डैशबोर्ड जो लोगों को रास्ता और जानकारी देगा।
  5. द अर्बनाइज़र – ये भारतीय कंपनी है जो शहरी डिज़ाइन और आर्किटेक्चर के क्षेत्र में काम करती है। इनके प्रोजेक्ट का नाम है ‘जनजात्रा’ जिसमें रंग-बिरंगे संकेत बोर्ड्स, डिजिटल साइनेज और ऐसे डिज़ाइन शामिल हैं जो लोगों को रास्ता ढूंढने और सुरक्षित चलने में मदद करेंगे।

इन सभी फाइनलिस्ट्स को अपने प्रोजेक्ट्स को काशी में ज़मीन पर उतारने और उनका असर दिखाने के लिए 1.3 लाख डॉलर की मदद दी जाएगी।

नगर आयुक्त अक्षत वर्मा (आईएएस) ने कहा

“इस चैलेंज के ज़रिए वाराणसी पूरी दुनिया को दिखा रहा है कि कैसे एक ऐतिहासिक शहर अपनी परंपराओं को बरकरार रखते हुए भी नए बदलाव अपना सकता है। ये पांच टीमें न सिर्फ़ भीड़ को बेहतर ढंग से संभालने का रास्ता दिखा रही हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए काशी की संस्कृति और पवित्रता को भी सहेजने का काम कर रही हैं।”

टोयोटा मोबिलिटी फाउंडेशन के डायरेक्टर प्रस गणेश (Pras Ganesh) ने कहा:

“काशी को दुनिया के सबसे जटिल मोबिलिटी सिस्टम्स में से एक माना जाता है, और इन पांच टीमों ने जिस रचनात्मक और व्यावहारिक सोच के साथ समाधान दिए हैं, वो काबिल-ए-तारीफ़ है। हम बहुत उत्सुक हैं कि ये प्रोजेक्ट जब जमीन पर लागू होंगे तो क्या असर डालते हैं — न सिर्फ काशी के लिए, बल्कि दुनिया के अन्य ऐसे ऐतिहासिक शहरों के लिए भी एक मिसाल बन सकते हैं।”

WRI इंडिया के प्रमुख अविनाश दुबेदी (Avinash Dubedi) ने कहा:

“वाराणसी जैसे शहर ने दिखा दिया है कि कैसे भीड़भाड़ वाली जगहों में इनोवेशन के ज़रिए समस्याओं का हल ढूंढा जा सकता है। यहां के समाधानों में सिर्फ़ भीड़ को कम करना नहीं है, बल्कि इस बात की भी सोच है कि हर उम्र और क्षमता का इंसान – चाहे वह स्थानीय हो, तीर्थयात्री हो या दिव्यांग – आसानी से और इज्जत से घूम सके।”

चैलेंज वर्क्स की कैथी नॉथस्टाइन (Kathy Nothstine) ने कहा:

“वाराणसी ने यह साबित कर दिया है कि अगर आप स्थानीय समस्याओं को समझकर समाधान निकालते हैं, तो आप ग्लोबल लीडर बन सकते हैं। इन टीमों का काम न सिर्फ भीड़ से जुड़ी सोच बदल रहा है, बल्कि यह भी सिखा रहा है कि धार्मिक और सांस्कृतिक शहरों को बेहतर कैसे बनाया जाए।”

सस्टेनेबल सिटीज़ चैलेंज का उद्देश्य
यह चैलेंज टोयोटा मोबिलिटी फाउंडेशन द्वारा फंड किया गया है और इसे चैलेंज वर्क्स और वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट ने मिलकर तैयार किया है। इसका मकसद दुनिया भर में स्मार्ट और टिकाऊ मोबिलिटी सिस्टम बनाना है।

वाराणसी में शुरू हुआ यह चैलेंज दिखाता है कि कैसे ज़मीनी स्तर की समस्याओं को हल करके हम वैश्विक स्थायित्व लक्ष्यों की ओर तेज़ी से बढ़ सकते हैं।

टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के कंट्री हेड विक्रम गुलाटी (Vikram Gulati) ने कहा:

“हम इन पांच फाइनलिस्ट्स की सोच और मेहनत से बहुत प्रभावित हैं। इनके प्रोजेक्ट्स ना सिर्फ वाराणसी को भीड़ से राहत देने वाले हैं, बल्कि पूरे शहर को एक नए तरीके से देखने का नजरिया देते हैं। हम उन आइडियाज को हमेशा आगे बढ़ाएंगे जो ‘हर किसी के लिए आवाजाही’ के हमारे मिशन को पूरा करते हैं और दुनियाभर के शहरों को एक बेहतर, टिकाऊ भविष्य की ओर ले जाते हैं।” इस पूरे प्रोजेक्ट के बारे में विशेष जानकारी के लिए sustainablecitieschallenge.org देखा जा सकता है।