Varanasi Court on Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Case) मामले में वाराणसी की जिला कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने इस मामले में हिंदू पक्ष की याचिका को सुनवाई के योग्य माना है। कोर्ट को इस मामले में यह तय करना था कि हिंदू पक्ष की याचिका सुनवाई के योग्य है या नहीं। कोर्ट ने कहा कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 इस मामले में लागू नहीं होता है।
हिंदू पक्ष की ओर से ज्ञानवापी परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी समेत अन्य धार्मिक स्थलों पर नियमित पूजा अर्चना करने की अनुमति दिए जाने की मांग की गई थी। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में पोषणीय नहीं होने की दलील देते हुए इस केस को खारिज करने की मांग की थी। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की दलील को खारिज करते हुए अपने फैसले में कहा है कि सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 07 नियम 11 के तहत इस मामले में सुनवाई हो सकती है।
बता दें, 20 मई को सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी ज़िला जज को याचिका की मेरिट पर फैसला लेने का आदेश दिया था। वाराणसी जिला जज डॉ. ऐके विश्वेश ने 24 अगस्त को सुनवाई पूरी की थी। मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि ये याचिका सुने जाने योग्य नहीं है। मस्जिद पक्ष ने दलील दी थी कि श्रृंगार गौरी में पूजा करने की याचिका 1991 के पूजा स्थल कानून के खिलाफ है।
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि कोर्ट ने हमारी बहस को मान लिया है। मुस्लिम पक्ष के आवेदन को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि याचिका सुनवाई योग्य है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी।
हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं: गिरिराज सिंह
ज्ञानवापी मामले में आए फैसले पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि हम फैसले का सम्मान करते हैं, हम ज्ञानवापी का भी सम्मान करते हैं। अगली सुनवाई में भी हमें कानून पर भरोसा है। हम कानून का सम्मान करते हैं और कानून के साथ हैं।
कोर्ट का फैसला हिंदू समुदाय की जीत: सोहन लाल
ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष के याचिकाकर्ता सोहन लाल आर्य ने कहा कि ये हिंदू समुदाय की जीत है। अगली सुनवाई 22 सितंबर को है। आज का दिन ज्ञानवापी मंदिर के लिए शिलान्यास का दिन है। हम लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हैं। इससे पहले हिंदू पक्ष ने कहा था कि अगर फैसला उनके पक्ष में आता है तो वे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) सर्वेक्षण और ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग की मांग करेंगे।
कोर्ट के फैसले से पहले हिंदू पक्षकार सोहन लाल आर्य ने कहा था कि यह दिन दुनिया के हिंदू समुदाय के लिए बहुत खुशी का दिन होने जा रहा है। हमने सुबह भगवान शिव के दर्शन के लिए प्रार्थना की है।
पिछले साल पांच महिलाओं ने दायर की थी याचिका
पिछले साल अगस्त में 5 महिलाओं ने वाराणसी सिविल जज (सीनियर डिविजन) के सामने एक याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के पास में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजन-दर्शन की अनुमति देने की मांग की थी।
जानिए क्या है प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट
संसद में सन 1991 में ‘प्लेसेस ऑफ़ वरशिप एक्ट’ पारित हुआ था। इसमें निर्धारित किया गया कि सन 1947 में जो इबादतगाहें जिस तरह थीं उनको उसी हालत पर कायम रखा जाएगा।