सरकार ने मुफ्त वैक्सीनेशन की सुविधा उपलब्ध कराई और तमाम जगहों पर इसकी बाध्यता को लागू कर दिया। विदेश जाने से लेकर पर्यटक बनकर किसी राज्य में दाखिल होने तक के लिए आपके पास कोविड-19 रोधी वैक्सीन सर्टिफिकेट होना जरूरी है। इसी जरूरत की आड़ में अब सर्टिफिकेट बनाने का गोरखधंधा शुरू हो गया है। जिन लोगों को वैक्सीन लगवाने से परहेज था अब वह भी कुछ पैसे देकर इस सर्टिफिकेट को हासिल कर ले रहे हैं।

समाचार पत्र दैनिक भास्कर के स्टिंग में इस बात का खुलासा हुआ है। राजस्थान की राजधानी जयपुर में पत्रकार ने एक स्टिंग करने के लिए फर्जी तरीके से वैक्सीन सर्टिफिकेट पाने की कोशिश की। यह कोशिश बिना किसी खास मेहनत के कामयाब हो गई। रिपोर्टर के हाथ में एक नहीं बल्कि तीन-तीन सर्टिफिकेट आ गए। एक सर्टिफिकेट के लिए पत्रकार को पांच हजार रुपये खर्चे करने पड़े, दूसरे सर्टिफिकेट के रुपये बकाया हैं तो तीसरा सर्टिफिकेट समाजसेवा की दुहाई देने पर मिल गया।

तीनों ही मामलों में वैक्सेनीशन सेंटर पर बैठे कर्मचारियों ने मोबाइल नंबर और आधार कार्ड व्हाट्सएप पर मंगाए और सर्टिफिकेट तैयार करके दे दिया। इतना ही नहीं, जिन लोगों की कोविड काल के दौरान मृत्यु हो गई थी। उनके नाम पर भी सर्टिफिकेट जारी किए जा रहे हैं। भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार राकेश कुमाार चतुर्वेदी की कोरोना के कारण 10 दिसंबर 2020 को मौत हो गई थी लेकिन उनके नाम पर वैक्सीन सर्टिफिकेट जारी हुआ है, जिसमें उन्हें पहली डोज 15 अप्रैल और दूसरी डोज 2 अगस्त को लगाई गई दिखाया गया है।

कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जहां विदेश जाने के नाम पर दोनों डोज एक ही दिन लगा दिए गए हैं। इस मामले पर तो जिला कलेक्टर अनंत सिंह नेहरा ने भी हैरानी जताई है। उन्होंने बताया कि विदेश जाने वाले लोगों के लिए तो सिर्फ एक सेंटर बनाया गया है। दूसरे किसी सेंटर पर मिले सर्टिफिकेट के जरिए विदेश जाने की अनुमति नहीं मिलेगी। अगर इसके बावजूद भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर सर्टिफिकेट अपलोड किए जा रहे हैं तो जांच करेक दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

एक तरफ कोरोना की तीसरी लहर भारत में आने की दस्तक दे रही है तो दूसरी तरफ इस तरह के मामले चिंताओं को और बढ़ा रहे हैं। पिछली दो लहरों में अपनों को खोने के बावजूद लोग चंद पैसों के नाम पर मौत को दावत दे रहे हैं। वैक्सीन की डोज के बिना सर्टिफिकेट हासिल करके लोग न सिर्फ अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं बल्कि अपने संपर्क में आने वाले अन्य लोगों की जान भी मुश्किल में डाल रहे हैं।

सरकार जिस कोविन एप के माध्यम से यह सर्टिफिकेट जारी कर रही है उसकी सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं। जिस एप को सरकार फुलप्रूफ होने का दावा कर रही है, उसकी सुरक्षा में सेंध लगाई जा रही है और इन सबसे बेपराह अपनी पीठ थपथपाने में व्यस्त है।