उत्तराखंड राज्य बनने के 21 साल में फूलों की खेती की पैैदावार का क्षेत्रफल 9 फीसद बढ़ना पुष्प उत्पादकों के लिए एक शुभ संकेत है। बाजार में फूलों की बढ़ती मांग को देखते हुए किसानों में पुष्प उत्पादन में दिलचस्पी लगातार बढ़ रही है। उत्तराखंड राज्य बनने से पहले उत्तराखंड में 150 हेक्टेयर क्षेत्र में फूलों की खेती होती थी। जो बढ़कर 1600 हेक्टेयर पहुंच गई है। फूलों की खेती का रकबा लगातार बढ़ रहा है क्योंकि इसे जंगली जानवर और बंदर नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। संरक्षित खेती के तहत किसान पाली हाउस लगाकर पुष्प उत्पादन कर रहे हैं।
नैनीताल सहित कई पर्वतीय जिलों के अलावा हरिद्वार, देहरादून, उधम सिंह नगर जैसे मैदानी जिलों में भी खास तौर पर फूलों की खेती से जुड़े किसान कट फ्लावर का उत्पादन मसलन गुलाब, गेंदा, रजनीगंधा, कोरेनेशन, ग्लेडियोलस, लीलियम, गुलदाउदी समेत अन्य किस्मों के फूलों की खेती कर रहे हैं। इस समय उत्तराखंड में कट फ्लावर की 3322 मीट्रिक टन पैदावार हो रही है। उत्तराखंड से दिल्ली, मेरठ, कानपुर, लखनऊ, चंडीगढ़ समेत अन्य महानगरों में करोड़ों रुपए का फूलों का कारोबार हो रहा है।
उत्तराखंड के उद्यान निदेशक डा एचएस बवेजा का कहना है कि प्रदेश के किसान व्यावसायिक रूप में पुष्प उत्पादन कर रहे हैं। सरकार की ओर से फूलों की खेती को बढ़ावा दिया जा जा रहा है। यही वजह है कि प्रदेश में लगातार पुष्प उत्पादन का क्षेत्रफल बढ़ रहा है। उत्तराखंड में फूलों की खेती रोजगार का एक बड़ा जरिया बन सकती है। चारधाम होने से यहां फूलों की बहुत अधिक मांग है। अकेले बदरीनाथ में ही 50 से 60 टन, केदारनाथ में 40 से 50 टन, गंगोत्री और यमुनोत्री में 60 से 70 टन फूलों की मांग कपाट खुलने के बाद रोजाना रहती है।
उत्तराखंड के चारों धामों के लिए सीजन के समय 200 टन फूलों की हर दिन की मांग रहती है। उत्तराखंड के किसान अभी भी यह मांग पूरी नहीं कर पाते और करोड़ों रुपए के फूल दिल्ली की मंडियों से उत्तराखंड में आयात किए जाते हैं। राज्य सरकार का प्रयास है कि फूलों की खेती को और अधिक बढ़ावा देकर स्थानीय किसान ही इस मांग को पूरी करा सके। इसके लिए चरणबद्ध योजनाएं बनाई जा रही हैं। पिछले दिनों राज्य के 700 करोड़ की एक परियोजना को केंद्र सरकार ने मंजूरी दी है। सरकार फूलों की खेती को सब्सिडी से जोड़ने के साथ ही इसकी फसल को बीमा से भी जोड़ रही है ताकि तूफान और ओलावृष्टि से फसल के नुकसान होने पर किसानों को इसका फायदा मिल सके। जिला वार पुष्प उत्पाद करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए उद्यान विभाग ने एक योजना शुरू की है।
पुष्प बेकरी उत्पाद को बढ़ावा राजभवन में 18 साल से लगने वाले वसंतोत्सव में पहली बार प्रदेश के हर जिले से पुष्प बेकरी उत्पादों का स्टाल लगाया गया। इसके अलावा खाने योग्य फूलों को भी पहली बार प्रतियोगिता में शामिल किया गया है। पहली बार आयोजित की गई गमलों की प्रतियोगिता को भी आकर्षण का केंद्र रही। ताकि लोग घरों में फूलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए जनमानस में संदेश दे सकें