उत्तराखंड में मई के महीने में कोरोना महामारी भारी पड़ी। इस महीने में कोरोना की दूसरी लहर देवभूमि उत्तराखंड के लिए मौत की ऐसी सुनामी बनकर आई कि हालात अब तक सामान्य नहीं हो पाए। मई का काला महीना देवभूमि उत्तराखंड में कई के सुहाग उजाड़ गया, कई माताओं की गोदी लील गया, कई भाइयों और बहनों की कलाई सूनी कर गया और कई लोगों के माता-पिता छीन कर उन्हें बेसहारा कर गया। उत्तराखंड में कोरोना की पहली लहर पर्वतीय क्षेत्रों में कोई खास प्रभाव नहीं डाल पाई थी, वहीं कोरोना की दूसरी लहर ने गांव-गांव में मातमी माहौल बना दिया। पहाड़ के ऊबड़-खाबड़ रास्तों से भरे गांवों में न दवा पहुंची न डॉक्टर। लोगों ने अपने परिजनों के सामने तड़पते हुए दम तोड़ दिया। मई के महीने में ही ब्लैक फंगस बीमारी ने उत्तराखंड में दस्तक दी।

उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री डॉक्टर हरक सिंह रावत जब पहाड़ों के कुछ गांवों पहुंचे, तो इलाज के अभाव में लोगों को तड़पते और मरते हुए देख कर वे भी अपने आंसू नहीं रोक पाए। मीडिया के सामने उन्होंने रोते हुए हुए कहा कि वे बेबस हैं और कुछ नहीं कर पा रहे हैं। इस महामारी ने सूबे की स्वास्थ व्यवस्था की पोल खोल दी। दूसरी लहर से सरकार और शासन के हाथ पांव फूल गए। अस्पताल कम पड़े और लोगों ने बिना इलाज के ही दम तोड़ दिया। अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट तक कम पड़ गए।

एक मई से 31 मई तक पूरे राज्य में कोरोना महामारी के चलते 3 हजार 821 लोगों की मौत हुई है। इन सरकारी आंकड़ों में वे लोग शामिल नहीं है जिन लोगों ने घर में दम तोड़ा। सात मई को एक दिन में सबसे ज्यादा 9,642 कोरोना संक्रमित सामने आए। मई के पूरे महीने में 1 लाख 49 हजार 422 कोरोना संक्रमित मरीजों के मामले सरकारी आंकड़ों में दर्शाए गए हैं। राज्य के 13 जिलों में हालात यह है कि दो पहाड़ी जिलों उत्तरकाशी और चंपावत को छोड़कर बाकी सभी पहाड़ी जिलों में कोरोना संक्रमित मरीजों के मामले 1 हजार से ज्यादा हैं। वहीं मैदानी जिले देहरादून में जहां 55 कंटेंनमेंट जोन हैं, तो पहाड़ी सीमांत जिले उत्तरकाशी में ही अकेले 60 कंटेनमेंट जोन है।

सरकार का दावा है कि महामारी नियंत्रण में आ रही है, जबकि विपक्ष आंकड़े छुपाने की बात कह रहा है। कोरोना महामारी का राजनीतिकरण हो गया। विपक्षी दल कांग्रेस ने पार्टी मुख्यालयों में एक दिन का धरना दिया, तो सत्तारूढ़ भाजपा ने भी जिला मुख्यालयों में मौन व्रत रखा। उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि सरकार के प्रयासों से कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी आ रही है।

वहीं उत्तराखंड कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि कोरोना संक्रमण ने सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था की कलई खोल दी है। मुसीबत और महामारी की मार के साथ मई का महीना तो बीत चुका है, लेकिन आफत का उत्तराखंड में कवक संक्रमण का भी प्रकोप बढ़ता जा रहा है जिसके इलाज के अभी समुचित प्रबंध नहीं हो पाए हैं। करीब 10 से 12 मरीज ब्लैक फंगस के कारण जान गंवा चुके हैं और करीबन 200 मामले ब्लैक फंगस के राज्य में अभी तक सामने आए हैं। इनमें ज्यादातर का इलाज ऋषिकेश एम्स में किया जा रहा है