उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज कांग्रेसी नेता हरीश रावत के बेटे आनंद रावत ने फेसबुक पर एक ऐसे पोस्ट लिखी है जो चर्चा का केंद्र बनी हुई है। ऐसा कहा जाता है कि हरीश रावत के बेटे आनंद रावत भी 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन पार्टी से उन्हें टिकट नहीं मिला। अब आनंद रावत ने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से कहा है कि मेरे पिता मेरे विचारों से परेशान रहते हैं।
आनंद रावत ने अपने फेसबुक पोस्ट में पॉलीटेक्निक छात्रों की समस्याओं का वर्णन किया और चिंता व्यक्त की। इसके साथ लिखा कि इनके लिए करेगा कौन? आनंद रावत ने लिखा, “चाहे हरीश रावत जी हो या किशोर उपाध्याय जी या फिर युवा नेता विनोद कंडारी, सुमित हृदेश, रितु खण्डूरी! सबके फेसबुक पर आपको जन्मदिन की बधाई की पोस्ट मिलेगी, लेकिन राज्य चिन्तन पर कुछ नहीं मिलेगा? मेरे पिताजी मेरे चिन्तन व विचारों से परेशान रहते है। शायद उन्होंने हमेशा मेरी बातें एक नेता की दृष्टि से सुनी और मुझे येड़ा समझा।”
वहीं हरीश रावत ने अपने बेटे की पोस्ट पर जवाब देते हुए एक फेसबुक पोस्ट लिखा और कहा, “आनंद मैंने तुम्हें कभी येड़ा नहीं समझा। वक्त ने मजबूरन समझा दिया। चाहे 2012 में लालकुआं हो या 2017 में जसपुर। मुझे गर्व है, तुमने नशे से लड़ने के लिए उत्तराखंड के परंपरागत खेलों को प्रचारित-प्रसारित किया। कितने युवा नेता हैं जो तुम्हारी तरह युवाओं तक “रोजगार अलर्ट” के लिए रोजगार समाचार पहुंचाते हैं। आज जब सारी राजनीति हिंदू-मुसलमान हो गई है। परंतु तुमने बुनियादी सवाल और हम जैसे लोगों की कमजोरियों पर चोट की है। डटे रहो। बाप न सही-समय तुम जैसे लोगों के साथ न्याय करेगा।”
वहीं बाद में अपनी पोस्ट पर सफाई देते हुए आनंद रावत ने फेसबुक पोस्ट में लिखा, “येड़ा शब्द मैंने 2012 में तत्कालीन गृह मन्त्री सुशील कुमार शिन्दे जी के मुंह से श्री अरविन्द केजरीवाल जी के लिए सुना और केजरीवाल जी ने इसे हिन्दी में जुनूनी शब्द कह कर व्याख्या की। 2013 के विधानसभा चुनाव में केजरीवाल जी ने इस शब्द की सार्थकता साबित भी कर दी । मेरे पिताजी मेरे नायक है और उनका जूझरूपन करोड़ों युवाओं को प्रेरणा देता है।”
आनंद रावत लगातार सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये युवाओं की समस्याओं को उठाते रहते है। आनंद कांग्रेस पार्टी के सक्रिय सदस्य भी है। हालांकि 2022 का विधानसभा चुनाव आनंद नहीं लड़ पाए थे।