उत्तराखंड में दैवीय आपदा से निपटने के लिए आठ सौ करोड़ रुपए से ज्यादा की एक परियोजना उत्तराखंड में शुरू की जाएगी। जिससे दैवीय आपदा से होने वाले नुकसान को कम से कम किया जा सके। और इसके लिए विश्वस्तरीय तकनीक की मदद भी ली जाएगी। केंद्र वित्त मंत्रालय ने इसके लिए सैद्धांतिक सहमति भी दे दी हैं। अब राज्य सरकार विश्व बैंक को यह प्रस्ताव भेजेगी। विश्व बैंक भी इस परियोजना के लिए तैयार हो गया हैं। उत्तराखंड में हर साल दैवीय आपदा की वजह से जानमाल का काफी नुकसान होता हैं। जिसको रोकने के लिए राज्य सरकार के पास साधन सीमित है जिस वजह से राज्य की जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता हैं।

भूस्खलन के कारण काफी बड़ी तादात में सड़के और आवासीय भवन ध्वस्त हो जाते हैं। और बारिश से उफनती नदियां कई गांवों और कस्बों को अपनी चपेट में ले लेती हैं और फसलें भी नष्ट हो जाती हैं। राज्य सरकार ने इन सब परेशानियों का स्थायी हल ढूंढ़ने के लिए एक खास परियोजना तैयार की हैं। राज्य सरकार को उम्मीद है कि केंद्र वित्त मंत्रालय और विश्व बैंक की मदद से इस परियोजना के लागू होने से सूबे के लोगों को भारी राहत मिलेगी। उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन के सचिव अमित सिंह नेगी ने बताया कि लगभग आठ सौ करोड़ रुपए की परियोजना को सैद्धांतिक सहमति केंद्र वित्त मंत्रालय से मिल चुकी हैं। विश्व बैंक के आलाधिकारियों से भी इस बारें में बातचीत हो चुकी हैं और राज्य सरकार जल्दी ही इस मामले में एक सलाहकार भी नियुक्त करेगी।

ताकि आपदा नियंत्रण के लिए पहली बार राज्य में एक विशेष प्रकार की तकनीक धरातल पर कारगर तरीके से उतारी जा सकें। सूबे का आपदा प्रबंधन विभाग सूबे के सभी सरकारी स्कूलों, अस्पतालों, अग्निशमन केंद्रों, जिला मुख्यालयों, पुलिस दफ्तरों समेत पांच हजार भवनों का सर्वे करवाएगा। और आपदा प्रबंधन के मामले में विदेशी तकनीक के जरिए सभी भवनों की स्कैनिंग करवायेगा। ताकि भवनों की भीतरी स्थिति का पता चल सके और उसके आधार पर भवनों के रखरखाव किया जा सके। इस मामले में राज्य के तीस सहायक अभियन्ताओं को आईआईटी रुड़की से खास प्रशिक्षण दिलवाया गया हैं। आपदा प्रबंधन विभाग को इस तकनीक से काफी उम्मीदें हैं।