उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के पौड़ी जिले के नैनीडांडा विकासखंड में पिपली-भौन मोटरमार्ग पर धूमाकोट के नजदीक रविवार सुबह यात्रियों से भरी एक बस के 70 फुट गहरी खाई में गिर जाने से 50 लोगों की मौत हो गई जबकि 13 यात्री घायल हुए हैं। राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि मरने वालों की तादाद 47 है। इनमें 22 पुरुष, 17 महिलाएं और आठ बच्चे शामिल हैं जबकि दो लोगों की अभी तक शिनाख्त नहीं हो पाई है। वहीं, पौड़ी के जिला आपदा नियंत्रण केंद्र ने 50 लोगों के मरने की पुष्टि की है। घायलों का इलाज नैनीताल जिले के रामनगर, हल्द्वानी के अस्पतालों और देहरादून के हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट और ऋषिकेश के एम्स में चल रहा है।
मृतकों में अधिकांश पौड़ी गढ़वाल जिले के हैं। दो-दो मृतक नैनीताल जिले के जसपुर और देहरादून के रहने वाले हैं। राज्य सरकार ने हादसे की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बस में क्षमता से ज्यादा सवारियां बैठाने की वजह से यह हादसा हुआ। इस घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, उत्तराखंड के राज्यपाल डॉ. केके पाल, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने गहरा दुख जताया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपए और घायलों को इलाज के लिए 50-50 हजार रुपए देने का एलान किया है। उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने भी घटना पर गहरा दुख जताया है।
उत्तराखंड के राज्य आपदा प्रबंधन बल के महानिरीक्षक (आइजी) संजय गुंज्याल ने बताया कि यात्रियों से खचाखच भरी यह निजी बस पौड़ी जिले के भौन से नैनीताल जिले के रामनगर जा रही थी। विकासखंड नैनीडांडा में पिपली-भौन मोटरमार्ग पर ग्वीन पुल के पास सड़क पर बने गहरे गड्ढे से बस को बचाने के चक्कर में चालक संतुलन खो बैठा और बस गहरी खाई में जा गिरी। इस हादसे में 48 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दो घायलों ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। यह हादसा इतना भयानक था कि बस के परखचे उड़ गए और बस के दो टुकड़े हो गए। कई शवों के चीथड़े इधर-उधर पड़े थे। इस घटना से पूरे उत्तराखंड में शोक की लहर दौड़ गई है। धूमाकोट, रामनगर, हल्द्वानी के अस्पतालों में अपने परिजनों के शव पाने के लिए लोगों में चीख-पुकार मची हुई है और गमगीन माहौल बना हुआ है।
हादसे की सूचना मिलने पर पौड़ी जिला प्रशासन, पुलिस और राज्य आपदा प्रबंधन बल की संयुक्त टीमें मौके पर पहुंची और घायलों को धूमाकोट के अस्पताल में पहुंचाया गया। आपदा राहत बल और पुलिस के जवानों ने स्थानीय ग्रामीणों की मदद से शवों को खाई से निकाला। गुंज्याल ने बताया कि गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को हेलिकॉप्टर से देहरादून लाया गया। दुर्घटना की शिकार निजी बस की क्षमता 28 यात्रियों को बैठाने की थी, जबकि उसमें साठ यात्री सवार थे। संतुलन खोने से बस सड़क से करीब 70 फुट नीचे संगुडी गदेरे (बरसाती नाले) में जा गिरी।
बचाव कार्यों का जायजा लेने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत देहरादून से हेलिकॉप्टर से घटनास्थल पर पहुंचे और अस्पताल में घायलों का हालचाल जाना। मुख्यमंत्री ने पौड़ी जिला प्रशासन को निर्देश दिए कि घायलों का हरसंभव इलाज किया जाए और शव तत्काल परिजनों के पास पहुंचाए जाएं। इस हादसे में पौड़ी गढ़वाल के गांव पोखाल के विनोद सिंह बिष्ट और उनकी दो बेटियां अर्चना और सुनीता, परखंडई गांव के वीर सिंह की पत्नी आरती देवी और 12 साल के बेटे आर्यन, गांव नाला के सोहन सिंह रावत और उनकी पत्नी लक्ष्मी देवी, मैरा गांव के नंदन सिंह की दोनों बेटियों दीपिका और सरिता और देहरादून के नेहरू ग्राम के रहने वाले मनवर सिंह और उनकी पत्नी सरोज की मौत हो गई। मनवर और सरोज के शवों को देहरादून लाया गया है।
इस हादसे में मौके पर मरने वालों में नीरज सिंह (18), अर्चना (06), भारत सिंह (44), तुला राम (35), सुशीला देवी (50), बीना देवी (42), अर्जुन सिंह (23), सुमन देवी (32), जसवीर सिंह (45), सरोज देवी (45), वीरेंद्र रावत (50), सुनीता देवी (27), चंपा देवी (40), संतन सिंह रावत (50), नीरज (18), देवेंद्र सिंह (40), बबली ध्यानी (35), डबल सिंह (50), त्रिलोक सिंह (54), दीपिका बिष्ट (20), नरेंद्र सिंह (47), मानसी (10), अर्जुन (12), मंजू देवी (30), रणवीर राम (40), श्याम लाल (62), मोनिका (16), आर्यन (12), सोहन सिंह रावत (40), विनोद सिंह बिष्ट (30), लक्ष्मी देवी (37), मंजू देवी (30), यश (10), प्रसाद (52), सुमित (15), यशपाल सिंह (40), लक्षिता (16), गोपी चंद (32), रीना देवी (35), आरती देवी (37), सरिता देवी (52), हेमंत चौहान (35) और मनवर सिंह (50) लोग शामिल है। जबकि तीन लोगों आशा देवी (40), अंकुश (9) और अमित रावत (24) की मौत अस्पताल में हुई। दो मृतकों की शिनाख्त नहीं हो पाई है।
इस हादसे ने उत्तराखंड के पहाडी क्षेत्रों में सड़क यातायात की पोल खोलकर रख दी है। गढ़वाल मंडल में गढ़वाल मोटर्स यूनियन निजी बसों का संचालन करती है। उनकी बसें छोटी होती हैं जिनमें सवारियां हमेशा क्षमता से ज्यादा भरी जाती हैं। पौड़ी गढ़वाल के कोटद्वार के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता नागेंद्र उनियाल का कहना है कि उत्तराखंड में अब तक यह सबसे बडा और ददर्नाक बस हादसा है, जिसमें सबसे ज्यादा 50 लोगों की जान गई है। सात-आठ साल पहले रुद्रप्रयाग में एक बस हादसे में 42 लोगों की जान गई थी।
- 28 यात्रियों की क्षमता वाली बस में 60 लोग थे सवार, गंभीर रूप से घायल लोगों को हेलिकॉप्टर से देहरादून लाया गया
- बचाव कार्यों का जायजा लेने घटनास्थल पर पहुंचे मुख्यमंत्री
- घायलों का रामनगर, हल्द्वानी के अस्पतालों, देहरादून के हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट, ऋषिकेश के एम्स में चल रहा इलाज
- मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख और घायलों को 50-50 हजार रुपए देने का एलान

