उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी की गति भी क्षेत्रीय राजनीतिक दल उत्तराखंड क्रांति दल की तरह हो गई है। 2022 के विधानसभा चुनाव में धूम-धड़ाके से चुनाव मैदान में उतरी आप के मुख्यमंत्री के चेहरे पूर्व फौजी अफसर अजय कोठियाल विधानसभा चुनाव में बुरी तरह पराजित होने के बाद अब अपने साथियों के साथ भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने कहा कि अब उनकी राजनीति का शुभ मुहूर्त शुरू हुआ है। कोठियाल आम आदमी पार्टी में 13 महीने ही टिक पाए। गंगोत्री विधानसभा में कोठियाल को पांच हजार मत मिले और वे तीसरे नंबर पर रहे। पार्टी को केवल 3.31फीसद वोट ही मिल पाए।

विधानसभा चुनाव से पहले आप का जो राजनीतिक प्रभाव दिखाई दे रहा था उसके कारण कर्नल अजय कोठियाल, मेजर जखमोला, वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी रविन्द्र जुगरान और पूर्व आइपीएस अनंत राम चौहान, सुवर्धन जैसे कई बड़े चेहरे उसमें शामिल हो गए। विधानसभा चुनाव के दौरान अनंतराम चौहान, सुवर्धन और रविंद्र जुगरान, जखमोला ने आम आदमी पार्टी से नाता तोड़ लिया था और रविंद्र जुगरान अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे। अब कर्नल अजय कोठियाल और भूपेश उपाध्याय भी भाजपा में शामिल हो गए हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक के खासम खास रहे नरेश शर्मा फिलहाल आप में हैं और उन्हें प्रदेश का बड़ा पदाधिकारी बना दिया है।

दरअसल विधानसभा चुनाव के दौरान केजरीवाल की कोई भी जनसभा सफल नहीं हुई और वे केवल प्रेस वार्ता तक ही सीमित रहे। विधानसभा चुनाव के अंतिम दौर में वे तीन दिन तक हरिद्वार के एक पांच सितारा होटल में डेरा डाले रहे और वहां उन्होंने प्रेस वार्ता की। कई राष्ट्रीय और क्षेत्रीय समाचार चैनलों को उत्तराखंड की राजनीति को लेकर सजीव साक्षात्कार दिए। यह दिखाने की कोशिश की कि राज्य में कांग्रेस का कोई अस्तित्व नहीं है और सीधी लड़ाई भाजपा और आप में है। विधानसभा चुनाव से पहले केजरीवाल ने देहरादून में अपनी पहली प्रेस वार्ता कर युवाओं, महिलाओं, सैनिक मतदाताओं को लुभाने के लिए कई लोकलुभावन नारे दिए थे और वादों की गारंटी दी थी। यहां तक मुफ्त बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं समेत महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपए सम्मान राशि, शहीदों के परिवार को एक करोड़ की आर्थिक सहायता देने का वादा किया था।

विधानसभा चुनाव से पहले एक वक्त ऐसा भी आया था कि सत्ताधारी भाजपा और मुख्य विपक्षी कांग्रेस को केजरीवाल की 300 यूनिट मुफ्त बिजली सहित अन्य चुनावी गारंटी ने बेचैन कर दिया था। तब कांग्रेस की चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत भी बिजली मुफ्त देने का 200 यूनिट का फार्मूला लेकर आए थे। हरक सिंह रावत भी मुफ्त बिजली देने के बयान देने लगे थे। राजनीतिक विश्लेषक कर्नल और केजरीवाल की जोड़ी के करिश्मे की कहानी गढ़ने लगे थे।

विधानसभा चुनाव से पहले ही आप के नेताओं में जो वर्चस्व की लड़ाई चल रही थी। उसने पार्टी की सभी संभावनाओं को समाप्त कर दिया। इन नेताओं की अहंकारी प्रवृत्ति ने पार्टी की सभी राजनीतिक संभावनाओं की बलि चढ़ा दी। पार्टी सूत्रों के मुताबिक आप के उत्तराखंड प्रदेश प्रभारी दिनेश मोहनिया और सह प्रभारी राजीव चौधरी के रौब दाब के आगे आप में शामिल हुए चौहान, सुवर्धन और रविंद्र जुगरान, जखमोला जैसे नेताओं ने घुटने टेकने के बजाय पार्टी को अलविदा कहना ही मुनासिब समझा।