Uttarkashi Flash Floods: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बादल फटने से भयंकर तबाही हुई है। सैलाब में 60 से ज्यादा लोग लापता हैं। कई घरों में पानी भर गया है। जो लोग लापता हुए हैं, उनकी तलाश में परिजन यहां से वहां भाग रहे हैं। उत्तरकाशी शहर में काम करने वाले सुमन सेमवाल ने जब धराली में बादल फटने का मंजर देखा तो वह बुरी तरह डर गए और उन्होंने मुखबा गांव में रहने वाले अपने पिता रमेश चंद्र को फोन किया।

सेमवाल का गांव 500 मीटर ऊंचाई पर है और उनके गांव के लोग सुरक्षित हैं। उन्होंने जब बाढ़ और सैलाब का शोर सुना तो मोबाइल से इसका वीडियो बनाया। सुमन सेमवाल बताते हैं कि सैलाब के आने के बाद लोगों ने बचने के लिए भागने की कोशिश की लेकिन कई लोग इसके साथ ही बह गए।

हर्षिल में चारों तरफ तबाही का मंजर

मंदिर में था धार्मिक कार्यक्रम

मंगलवार को धराली के सोमेश्वर मंदिर में एक धार्मिक कार्यक्रम था और इसमें शामिल होने के लिए कई लोग आए थे। सेमवाल बताते हैं, ‘लोग समझ ही नहीं पाए कि क्या हुआ और बाढ़ का पानी 15 सेकंड में उन पर टूट पड़ा।’

उत्तरकाशी में होटल चलाने वाले अरुणव नौटियाल हर्षिल में रहने वाले अपने दोस्त गौरव को लेकर परेशान हैं। उनका गौरव से संपर्क नहीं हो पा रहा है। नौटियाल ने कहा, “बादल फटने के लिए जितनी बारिश होनी चाहिए थी इतनी बारिश नहीं हुई। सुक्खी टॉप, हर्षिल और धराली में तीन बार अचानक बाढ़ आई और इसके बाद हर्षिल हेलीपैड के पास भागीरथी नदी मलबे से ब्लॉक हो गई है।”

मैंने अपनी आंखों के सामने कई होटल बहते देखे…

…केदारनाथ जैसी आपदा हो सकती थी

नौटियाल बताते हैं कि धराली में चार धाम और हर्षिल जाने वाले कई यात्री रुकते हैं। यहां पर होटल और होमस्टे हैं। वह कहते हैं कि मानसून के सेशन में यहां पर कम लोग होते हैं। अगर यह दुर्घटना किसी और महीने में हुई होती तो केदारनाथ जैसी आपदा हो सकती थी।

उत्तराखंड के पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने भी बताया कि कुछ तीर्थ यात्री चार धाम यात्रा के दौरान धराली में रुकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल की शुरुआत में टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए हर्षिल और मुखबा गए थे। उन्होंने हर्षिल में एक ट्रैक और बाइक रैली को हरी झंडी दिखाई थी और गंगोत्री धाम भी गए थे।

क्यों फटता है बादल, क्या पूरे भारत में बढ़ रही हैं ऐसी घटनाएं?