उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज 63 बंगाली हिन्दू परिवारों को कृषि भूमि का पट्टा और आवास का आवंटन पत्र सौंपा। ये सभी 63 परिवार 1970 में पाकिस्तान से यूपी आकर बस गए थे और मेरठ के हस्तिनापुर में रह रहे थे। ये परिवार पिछले कई सालों से आवास और खेती के लिए कृषि भूमि की मांग कर रहे थे। मुख्यमंत्री योगी ने लखनऊ में इन सभी 63 परिवारों को आवंटन पत्र सौंपा। आवंटन पत्र मिलने के बाद सभी परिवार काफी खुश दिखाई दिए और मोदी-योगी को धन्यवाद दिया।

एक समाचार चैनल से बात एक लाभार्थी ने कहा कि, “1970 से हमने बहुत दिक्कतें झेली, कई सरकार आई-गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब हमें सहारा मिला है और जब तक शरीर में जान है तब तक मोदी-योगी जी के लिए काम करेंगे।” सभी 63 हिन्दू बंगाली परिवारों को कानपुर देहात जिले के रसूलाबाद के भैसायां गांव के महेंद्र नगर में बसाया जायेगा। पिछले वर्ष 11 नवम्बर को ही यूपी कैबिनेट में इन परिवारों की पुनर्वास प्रक्रिया के लिए प्रस्ताव पारित हो गया था। 1971 में बांग्लादेश से आये कुछ परिवारों को भी महेंद्र नगर में ही बसाया गया है और अब पूर्वी पाकिस्तान से आये परिवारों को बसाया जायेगा।

परिवारों के पुनर्वास के लिए क्या सुविधा मुहैया कराएगी सरकार: योगी सरकार इन सभी परिवारों को आवास के अलावा खेती के लिए 2 एकड़ जमीन लीज पर देगी। साथ ही हर परिवार को आवास के लिए 200 वर्ग मीटर जमीन और मुख्यमंत्री आवास योजना के माध्यम से घर बनाने के 1 लाख 20 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इन परिवारों के सदस्यों को इनकी योग्यता अनुसार मनरेगा के तहत काम भी दिया जायेगा। सरकार ने इन परिवारों के लिए 300 एकड़ जमीन चिन्हित किया है और इस भूमि पर इन्हें सिंचाई की सुविधा भी मिलेगी ताकि इन्हें कोई दिक्कत न हो।

आज से करीब 52 वर्ष पहले 1970 में 65 बंगाली हिन्दू परिवार पूर्वी पाकिस्तान से भारत चले आये थे और मेरठ के हस्तिनापुर में बस गए थे। इन परिवारों के पुनर्वास के लिए इन्हें पास के ही मदन सूत मजिल में काम दिया गया था। लेकिन 1984 में ये मिल बंद हो गई और इनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया। 2 परिवारों के सदस्यों की मृत्यु हो चुकी है और 63 परिवार पिछले 38 साल से संघर्ष कर रहे थे।

बता दें कि मिल बंद होने के कारण कुल करीब 400 शरणार्थी परिवारों की रोजी-रोटी पर संकट आया था और इनके पुनर्वास की प्रक्रिया की जानी थी। लेकिन करीब 340 परिवारों को ही सरकार पुनर्वासित कर पाई थी। बाकी बचे हुए 63 परिवारों को अब पुनर्वासित किया जा रहा है।