राज खन्ना

कुदरत के बख्शे अंधेरे को अपनी काबिलियत से मोहम्मद अकरम ने रोशनी से नहला दिया है। जल्द ही मिलने वाले दो स्वर्ण और दो कांस्य पदकों ने उसके हौसले को और बढ़ाया है। अपने सपनों को सच करने में जुटे अकरम की ख्वाहिश है कि पढ़ाई से जी चुरा रहे खासतौर पर ग्रामीण इलाके के युवक पढ़ाई की जरूरत को समझें। मंज़िल की ओर बढ़ते उसके कदम पीएचडी में दाखिले में हुई नाइंसाफी के चलते ठिठके जरूर हैं लेकिन उसने हार नहीं मानी है। हर मुमकिन चौखट पर दस्तक दी है। उम्मीद संजोए हैं कि योगी जी जरूर सुनेंगे।
27 अप्रैल को शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्विविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में सुल्तानपुर के भुलकी गांव के निवासी मो अकरम को चार पदक प्राप्त होंगे। सौ फीसद दृष्टि बाधित अकरम ने 2014-16 सत्र की एमए हिंदी की परीक्षा में सर्वाधिक 80.20 फीसद अंक हासिल किए हैं। उसे कुलपति स्वर्ण, आलोक तोमर स्मृति स्वर्ण और कुलाध्यक्ष कांस्य एवं मुख्यमंत्री कांस्य पदक के लिए चुना गया है। राजकीय दृष्टि बाधित स्पर्श इंटर कालेज लखनऊ से हाई स्कूल और इंटर परीक्षाओं में 69 फीसद अंक हासिल करने वाले अकरम ने शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय से बीए की परीक्षा में 80 फीसद अंक प्राप्त किए हैं। एमए हिंदी की परास्नातक परीक्षा में उसने सबको पीछे छोड़ दिया। अपनी हर सफलता के बाद और विनम्र अकरम लगातार मेहनत के जरिए मंजिल हासिल करने में भरोसा रखता है।