धार्मिक नगरी के साथ-साथ पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण वाराणसी में हर साल लाखों की संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु और पर्यटक पहुंचते हैं। ऐसे में दूर-दराज से आने वाले पर्यटकों को इस शहर की सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराने के लिए 2023 जनवरी में गंगा घाट के किनारे रेत पर टेंट सिटी का निर्माण कराया गया था। इसको लेकर कई आलोचनाएं भी हुई कि अस्थाई रूप से बनी यह टेंट सिटी का निर्माण काशी की सांस्कृतिक पहचान को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ आम लोगों की कल्पना से काफी दूर होगा।
वाराणसी में गंगा किनारे बसने वाली आलीशान टेंट सिटी इस बार सवालों के घेरे में आ गई है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (National Green Tribunal) ने अगले आदेश तक टेंट सिटी के निर्माण पर रोक लगा दी है। जनवरी 2023 में टेंट सिटी पहली बार रेत पर बसाई गई थी और पर्यटकों को खींचने के लिए यह योजना हर साल आगे बढ़ाने की प्लानिंग थी। इस बार भी अक्टूबर से टेंट सिटी बसाने की तैयारी शुरू हो गई थी लेकिन इसके पहले याचिकाकर्ता तुषार गोस्वामी की तरफ से एनजीटी में टेंट सिटी के खिलाफ याचिका दायर की गई। जिस पर सुनवाई करते हुए NGT कोर्ट ने गुरुवार को इस पर रोक लगा दी।
टेंट सिटी बसाने और उसके निर्माण पर रोक
एनजीटी ने टेंट सिटी बसाने और उसके निर्माण पर पूरी तरह रोक लगा दी है। साथ ही इस पर सवाल उठाते हुए जवाब देने के लिए 30 अक्टूबर तक का समय दिया है। एनजीटी के चार जजों ने तत्कालीन जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा, वाराणसी विकास प्राधिकरण, राज्य सरकार की प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जरिए दी गयी अनापत्ति पर भी कड़ा रुख अपनाया है।
आम आदमी कहां से देगा पैसे?
चार जजों के ट्रिब्यूनल बेंच में शामिल एक जज ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जिस टेंट सिटी में एक रात गुजारने की कीमत 40 हजार से ज्यादा हो वहां आम आदमी तो क्या हमारी भी जाने की क्षमता नहीं है। कोर्ट ने पूछा कि इस परियोजना में आम आदमी कहां है? इसके कॉटेज के महंगे चार्ज का भुगतान तो आम आदमी कर ही नहीं पाएगा। कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि आपकी इस योजना में आम गरीब आदमी कहां से पैसे दे पाएगा ?
इसके अलावा NGT के जज की ओर से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष और VDA को अगली सुनवाई में जवाब देने का भी आदेश दिया है। NGT ने NMCG और बाकी मशीनरी को यह भी कहा है कि गंगा नदी से जुड़े जो भी नोटिफिकेशन हैं, उन्हें 3 सप्ताह में जवाब फाइल करें। NMCG ने कहा कि हम इसके एप्लीकेशन पर 15 दिन में फैसला लेंगे।
कहां हैं सारे कछुए?
टेंट सिटी के मामले में जिला अधिकारी कौशल राज शर्मा ने कछुआ सेंचुरी को डिनोटिफाई करने का आदेश दिया था। इस पर सवाल उठाते हुए चार जजों ने ट्रिब्यूनल है पूछा कि अगर कछुआ सेंचुरी अपने डिनोटिफाई किया है तो वह सारे कछुए अब कहां है, क्या आपने स्थिति के बारे में कोई जानकारी दी है।