उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गुरुवार को कहा है कि राज्य में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी की जान नहीं गई। विधान परिषद में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस सदस्य दीपक सिंह द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने यह दावा किया।
कांग्रेस सदस्य के सवाल का जवाब देते हुए स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा, ”प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी की जान जाने की कोई सूचना नहीं है।” दीपक सिंह ने कहा कि सरकार के कई मंत्रियों ने ही पत्र लिखकर कहा था कि राज्य में ऑक्सीजन की कमी से मौतें हो रही हैं।
उन्होंने कहा, ”कई सांसदों ने भी ऐसी शिकायतें की थीं। ऑक्सीजन की कमी से मौत के कई मामले सामने आए थे। क्या राज्य सरकार को पूरे प्रदेश में हुई ऐसी मौतों की कोई जानकारी है? क्या सरकार ने गंगा में बहते हुए शवों और ऑक्सीजन की कमी से परेशान लोगों को नहीं देखा है?”
इस पर सफाई देते हुए स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा, ”अस्पताल में भर्ती मरीज की मौत होने पर उसका मृत्यु प्रमाण पत्र डॉक्टर जारी करते हैं। प्रदेश में अब तक कोविड-19 के कारण 22,915 मरीजों की मृत्यु हुई है, जिनमें से किसी के भी मृत्यु प्रमाण पत्र में ‘ऑक्सीजन की कमी से मौत’ का जिक्र नहीं है।”
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान लोगों की मौत विभिन्न बीमारियों और असाध्य रोगों की वजह से हुई। मंत्री ने कहा कि उस दौरान, जहां ऑक्सीजन की कमी सामने आई, दूसरे प्रदेशों से लाकर वहां ऑक्सीजन की व्यवस्था की गई थी।
वहीं, समाजवादी पार्टी के उदयवीर सिंह ने कहा, “उत्तर प्रदेश सरकार ने आगरा के पारस अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की जब वहां एक डॉक्टर का वीडियो वायरल हो गया था। वहां आधे मरीजों को ऑक्सीजन दी गई और आधे की मौत हो गई। वहां, जिलाधिकारी के निर्देश पर ऑक्सीजन की आपूर्ति रोक दी गई थी।”
इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने जवाब दिया, ”जिलाधिकारी और पुलिस आयुक्त की जांच रिपोर्ट में अस्पताल में ‘मॉक ड्रिल’ की बात कही गई थी। उदयवीर ने मंत्री के जवाब पर आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर सरकार मृत्यु प्रमाण पत्र में ‘मौत’ के बजाय “विलुप्त” लिख दे तो इससे सच्चाई नहीं बदलेगी।