लाउडस्पीकर पर अजान को लेकर देश की सियासत गरमाई हुई है। महाराष्ट्र से लेकर राजस्थान और यूपी तक इस मामले पर जमकर सियासत होती दिखाई दे रही है। वहीं, लाउडस्पीकर विवाद के बीच, एक याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि लाउडस्पीकर पर अजान मौलिक अधिकार नहीं है। इस टिप्पणी के साथ ही कोर्ट ने लाउडस्पीकर लगाए जाने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया।

बदायूं के बिसौली गांव में एक मस्जिद पर लाउडस्पीकर लगाकर अजान की मांग से संबंधित आवेदन एसडीएम के समक्ष किया गया, जिसे एसडीएम ने खारिज कर दिया था। इसके बाद इरफान ने इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिका के जरिए इरफान ने कोर्ट से मांग की थी कि स्थानीय प्रशासन को मस्जिद पर लाउडस्पीकर लगान अजान की इजाजत दी जाए।

याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि एसडीएम द्वारा पारित आदेश पूरी तरह से गैरकानूनी था और मस्जिद पर लाउडस्पीकर लगाने के उनके मौलिक और कानूनी अधिकारों का उल्लंघन था। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि यह अब स्थापित हो चुका है कि मस्जिदों में लाउडस्पीकर का उपयोग मौलिक अधिकार नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने इरफान की याचिका को खारिज कर दिया।

पिछले दिनों, यूपी सरकार ने धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकर की आवाज को कम कराने का आदेश दिया था। इसके बाद, तेज आवाज में बजाए जाने वाले लाउडस्पीकर को धार्मिक स्थलों से उतारा जा रहा है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर की आवाज को परिसर तक सीमित करने का आदेश दिया है।

गौरतलब है कि मई 2020 में यह मानते हुए कि अजान इस्लाम धर्म का एक अभिन्न अंग हैं, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य की विभिन्न मस्जिदों में लॉकडाउन के बीच भी अजान की अनुमति दी थी। हालांकि, उसके लिए माइक के इस्तेमाल पर हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था कि अजान निश्चित रूप से इस्लाम का एक अनिवार्य और अभिन्न अंग है, लेकिन लाउडस्पीकर का उपयोग आवश्यक और इसका अभिन्न हिस्सा नहीं है।