उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने जब से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है उसके बाद से ही वो कड़े फैसले ले रहे हैं। कई अधिकारियों के खिलाफ भी सीएम योगी ने हाल ही में सख्त रुख अपनाया था। अब योगी सरकार सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भी कड़ा रुख अपना रही है। योगी सरकार ने लोकनिर्माण विभाग में कार्यरत 106 जूनियर इंजीनियर्स को डिमोट करने का फैसला किया है।
योगी सरकार ने उन 106 जूनियर इंजीनियर्स को डिमोट किया है जिनको अखिलेश यादव की सरकार में गलत तरीके से प्रोमोशन मिला था। दरअसल 2013 में तत्कालीन अखिलेश सरकार ने 106 जूनियर इंजीनियरों को डिप्लोमा के आधार पर प्रोमोट किया था। इन सभी इंजीनियरों को नियमों के विरुद्ध डिप्लोमा के आधार पर प्रोमोशन दिया गया था जो गलत था। रिव्यु कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सरकार द्वारा ये निर्णय लिया गया है।
बता दें कि इनके प्रोमोशन के मुद्दे पर रिव्यु कमेटी बनी थी जिसने अपनी रिपोर्ट लोक निर्माण विभाग को सौंपी और फिर लोक निर्माण विभाग ने ये रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज दी। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को ही इस रिपोर्ट को देखा और फिर 106 जूनियर इंजीनियर्स को डिमोट कर दिया। सीएम योगी ने इस फैसले से सख्त सन्देश देने की कोशिश की है कि गलत काम बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।
दुबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के कुछ दिन बाद ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने औरैया और सोनभद्र के जिला अधिकारी को सस्पेंड कर दिया था। औरैया जिला अधिकारी सुनील वर्मा के खिलाफ भ्रस्टाचार की शिकायतें आई थीं, जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी ने ये कड़ा फैसला लिया था। सीएम के फैसले से प्रदेश की नौकरशाही में हडकंप मच गया था। वहीं सोनभद्र के जिला अधिकारी टीके शिबू और गाजियाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पवन कुमार को भी सीएम योगी ने सस्पेंड कर दिया था।
वहीं कुछ दिन पहले यूपी पावर कॉरपोरेशन ने लखनऊ के एक डिविजनल क्लर्क के खिलाफ बिजली बिलों की हेराफेरी के मामले में 1 करोड़ 41 लाख का जुर्माना लगाया था। क्लर्क की सैलरी, पीएफ और ग्रेच्युटी से जुर्माने की रकम वसूल की जाएगी। क्लर्क ने करीब 36 लाख रुपए के बिजली बिलों में हेराफेरी की थी।