यूपी चुनाव में एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी और बिहार के सीएम नीतीश कुमार की पार्टी को जितने वोट मिले उससे ज्यादा तो दो बीजेपी विधायकों ही मिल गए। यही नहीं अगर इसमें कांग्रेस को मिले वोट भी जोड़ दिए जाएं तो कुल आंकड़ा 26 लाख वोट का बनता है। दूसरी तरफ बीजेपी के सिर्फ 15 विधायकों को 27 लाख से ज्यादा मिले। यानि चुनाव के पहले और बाद में हर तरफ बीजेपी ही बीजेपी है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव में कांग्रेस को 21,51,234, ओवैसी को 4, 50, 929 और जदयू को 97,738 वोट मिले। बीजेपी के 12 नेताओं को मिले कुल वोट कांग्रेस पार्टी को मिले कुल वोटों से भी ज्यादा हैं। ओवैसी की पार्टी को भाजपा के 2 नेताओं से भी कम वोट मिले। वहीं, नीतीश की पार्टी को जितने वोट मिले उतने भाजपा के किसी भी एक नेता को मिले वोटों से भी कम हैं। जबकि कांग्रेस और ओवैसी बड़े-बड़े सपने देख रहे थे। लेकिन जमीनी तौर पर इनकी उपस्थिति न के बराबर रही।

चुनाव 2022 में बीजेपी को कुल 3 करोड़ 80 लाख 51 हजार 721 वोट मिले। जबकि सपा के खाते में 2 करोड़ 95 लाख 43 हजार 934 वोट आए। बसपा की बात करें तो उसे मिलने वाले वोटों की तादाद भी अच्छी खासी है। मायावती की पार्टी को कुल 1 करोड़ 18 लाख 75 हजार 137 वोट चुनाव में मिले। सपा के साथ मिलकर लड़ने वाली रालोद को 2 लाख 63 हजार 168 वोट मिले। इन चुनावों में चौधरी जयंत सिंह की रालोद उत्तर प्रदेश की चौथी सबसे बड़ी पार्टी बन कर सामने आई है।

रिपोर्ट बताती है कि भाजपा के 11 विधायक 1 लाख से ज्यादा मार्जिन से जीते। इनमें सबसे ज्यादा वोट से जीतने वाले साहिबाबाद असेंबली सीट से सुनील कुमापर शर्मा हैं। उन्हं कुल 3 लीख 22 हजार 882 वोट मिले। उनकी जीत का अंतर 2 लाख 14 हजार 835 रहा। असदुद्दीन ओवैसी और नीतीश कुमार की पार्टी समेत 11 अन्य पार्टियों को तो नोटा से भी कम वोट मिले हैं। दिलचस्प बात है कि उत्तर प्रदेश के 6 लाख 37 हजार 304 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया है।