उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान कई सीटों पर मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है। कुछ सीटों पर जहां शुरुआती दिनों में मुकाबला दो दलों के बीच माना जा रहा था, मतदान के करीब आते-आते वहां मुकाबला त्रिकोणीय हो गया। ऐसी ही एक सीट है गोरखपुर की खजनी विधानसभा जहां आमने-सामने की लड़ाई अचानक त्र‍िकोणीय मुकाबले में बदल गई है।

गोरखपुर में छठे चरण में तीन मार्च को मतदान हुआ था। यहां पर भाजपा ने संत प्रसाद की जगह श्रीराम चौहान को टिकट दिया है। जबकि, समाजवादी पार्टी ने रूपावती बेलदार और बसपा ने विद्यासागर उर्फ छोटे भाई पर भरोसा जताया है। चुनाव से पहले तक यहां लड़ाई आमने-सामने की मानी जा रही थी, लेकिन जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आने लगी, यहां पर मुकाबला त्र‍िकोणीय हो गया।

भाजपा ने इस सीट पर संतकबीरनगर की धनघटा सुरक्षित सीट से विधायक श्रीराम चौहान पर दांव खेला है, जिनको बसपा के प्रत्याशी विद्यासागर और सपा की रूपावती से उनको तगड़ी टक्कर मिल रही है। इस सीट पर पिछली बार की तुलना में 1.53 फीसदी मतदान अधिक हुआ है, जिसके बाद सभी प्रमुख दलों के प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत के दावे करते दिखाई दे रहे हैं। हालांकि, लोग खुलकर ये नहीं कह रहे हैं कि खजनी से चुनाव जीतकर विधानसभा कौन सी पार्टी का उम्मीदवार जाएगा।

क्या रहे हैं खजनी में चुनावी मुद्दे

खजनी विधानसभा सीट पर किसका पलड़ा भारी है, ये कहना बेहद मुश्किल है। संत प्रसाद ने 2017 के चुनाव में इस सीट पर बसपा के उम्मीदवार को हराया था। भाजपा ने खजनी सुरक्षित सीट से मौजूदा विधायक संत प्रसाद को टिकट नहीं दिया, जिसके कारण उनके समर्थकों में नाराजगी भी है। हालांकि, सरकार की राशन वितरित करने वाली योजना के समर्थन में भी लोग दिखाई दिए हैं। वहीं, कुछ लोग अनुसूचित और अगड़ों के गठजोड़ पर भी जोर देते दिखाई दिए हैं। खजनी में बेरोजगारी और विकास के साथ-साथ कानून-व्यवस्था भी अहम मुद्दा रहा है।

छठे चरण में 10 जिलों अंबेडकरनगर, बलिया, बलरामपुर, बस्ती, देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, महराजगंज, संतकबीर नगर और सिद्धार्थनगर में मतदान हुआ। यूपी में सातवें और आखिरी चरण के लिए मतदान 7 मार्च को होना है, जबकि विधानसभा चुनावों के नतीजे 10 मार्च को घोषित किए जाएंगे।