उत्तर प्रदेश चुनाव विधानसभा चुनाव में राजनीतिक महत्वकांक्षा के अलग-अलग रंग दिखाई दे रहे हैं। कहीं पर भाभी के सामने देवर हैं तो कहीं पर पिता की राजनीतिक विरासत को बेटी चुनौती देती दिखाई दे रही है। ऐसी ही एक जंग एक एक ही राजघराने की ननद और भाभी के बीच भी जारी है। जिसको लेकर काफी चर्चाएं हैं। सोनभद्र की घोरावल विधानसभा सीट (Ghorawal Assembly Seat) पर एक ही राजघराने की ननद-भौजाई दो अलग पार्टियों से आमने-सामने हैं।

राजनीतिक वर्चस्व की इस जंग में बढ़त हासिल करने के लिए अगोरी-बड़हर राजघराने की बहू और ननद अलग-अलग खेमे में जा चुकी हैं। राजघराने की बहू विदेश्वरी सिंह कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार हैं, जबकि उनकी ननद राजकुमारी दीक्षा ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर घर में ही उनका विरोध कर दिया है। हालांकि, वह दीक्षा अपनी भाभी के खिलाफ खुलकर चुनाव प्रचार नहीं कर रही हैं लेकिन पहले घोरावल से कांग्रेस के टिकट की दावेदार बताई जा रहीं दीक्षा ने भाजपा की सदस्यता लेकर अपने इरादे जाहिर जरूर कर दिए हैं।

घोरावल से जब कांग्रेस ने राजकुमारी दीक्षा को टिकट नहीं दिया तो उन्होंने लखनऊ जाकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। उनके इस कदम में एक तरफ, राजघराने के करीबी लोगों को दुविधा में डाल दिया है तो दूसरी तरफ, यहां चुनावी जंग भी दिलचस्प हो गई है।

बड़हर राजघराने के कुंवर अभ्युदय ब्रह्मशाह के निधन के बाद उनकी पत्नी विदेश्वरी सिंह अपने मायके राजस्थान चली गई थीं। वहीं, कांग्रेस ने जब उन्हें यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में घोरावल से उम्मीदवार बनाया तो वे अपने ससुराल आ गई हैं और अपने प्रचार अभियान में जुटी हैं। वहीं, कांग्रेस से टिकट न मिलने से निराश राजकुमारी दीक्षा ने भाजपा के खेमे में जाकर राजनीतिक संदेश दिया है।

हालांकि, राजकुमारी दीक्षा ने अभी तक खुलकर इस बाबत कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है। राजनीतिक वर्चस्व और विचारधारा की जंग से जुड़े सवालों को वह टाल जा रही हैं। उधर, विदेश्वरी सिंह ने भी राजघराने के अंदरूनी मामलों में कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया और उन्होंने राजकुमारी दीक्षा को नई राजनीतिक पारी शुरू करने पर शुभकामनाएं दीं।