उत्तर प्रदेश में 2 लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए और दोनों लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाती थी, लेकिन सपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। आजमगढ़ लोकसभा सीट से 2019 में अखिलेश यादव सांसद चुने गए थे लेकिन विधानसभा में उनके इस्तीफे के बाद यह सीट खाली हो गई। लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव को उम्मीदवार बनाया। लेकिन बीजेपी के दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ से धर्मेंद्र यादव को करारी हार का सामना करना पड़ा।
समाजवादी पार्टी ने हार के बाद कहा कि बसपा और बीजेपी का अघोषित गठबंधन था, जिसके कारण सपा को हार का सामना करना पड़ा। बता दें कि बसपा के गुड्डू जमाली को 2,60,000 से अधिक वोट मिले हैं और मुस्लिमों ने भी बसपा के उम्मीदवार को काफी वोट दिया है। लेकिन सपा के आरोपों के बीच अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि सपा अपना ही 6% वोट नहीं बचा पाई।
2019 के लोकसभा चुनाव में सपा को 60.04% वोट प्राप्त हुए थे जबकि बीजेपी को 35.10% वोट प्राप्त हुआ था। पिछले लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा का गठबंधन था। लोकसभा चुनाव बाद गठबंधन टूट गया और विधानसभा चुनाव में जब सपा और बसपा ने अलग-अलग चुना लड़ा तब सपा को आजमगढ़ में 40 फ़ीसदी वोट प्राप्त हुआ है। जबकि बसपा को 24 फीसदी वोट प्राप्त हुआ। वहीं बीजेपी को 30 फ़ीसदी वोट प्राप्त हुआ।
वहीं अगर हाल ही में हुए लोकसभा उपचुनाव की बात करें तो सपा को 33.44 फ़ीसदी वोट मिला जबकि बीजेपी को 34.39 फीसदी वोट मिला। वहीं बीएसपी के उम्मीदवार को 29.27 फीसदी वोट मिला। अगर विधानसभा चुनाव और लोकसभा उपचुनाव पर नजर डालें तो आंकड़ों से पता चलता है कि सपा के वोटों में करीब 6% की गिरावट हुई है। जबकि बीजेपी और बसपा के वोटों में वृद्धि हुई है। बसपा के वोट करीब 6 फीसदी बढ़े हैं।
समाजवादी पार्टी अपनी हार का कारण बसपा को बता रही है। लेकिन समाजवादी पार्टी के वोटों में भी गिरावट हुई है। आंकड़ों से साफ पता चलता है कि इस बार समाजवादी पार्टी से लोगों का मोहभंग हुआ है।