समाजवादी पार्टी में बगावत का दौर जारी है। एक के बाद एक मुस्लिम नेता लगातार समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पर मुसलमानों की समस्याओं को ना उठाने को लेकर सवाल उठा रहे हैं। हाल ही में सहारनपुर से समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता सिकंदर अली ने समाजवादी पार्टी से यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि उन्हें सपा में घुटन हो रही है। इसके साथ अखिलेश यादव पर मुसलमानों का अपमान करने का भी आरोप लगाया।
इस्तीफे पर सिकंदर अली ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि 2022 के विधानसभा चुनावों में मुसलमानों ने 90 फ़ीसदी से ज्यादा वोट समाजवादी पार्टी को देने का काम किया था, लेकिन अखिलेश यादव मुसलमानों के मुद्दों पर हमेशा चुप रहने का काम किया है। वहीं, इस चुनाव में समाजवादी पार्टी की जो 111 सीटें आई हैं वह मुसलमानों के सपोर्ट की बदौलत ही हासिल हुई है।
अखिलेश यादव आजम खान और विधायक नाहिद हसन के मुद्दे पर चुप रहे और कायरों की तरह राजनीति करते रहे। चुनावों के दौरान मुस्लिम विधायक को मंच से धक्का देने का काम किया है। अखिलेश यादव के इस रवैया से मुस्लिम समाज की भावनाएं आहत हुई हैं, जिस कारण मुझे पार्टी में घुटन महसूस हो रही थी और पार्टी से इस्तीफा दिया है।
अखिलेश ने फर्जी सेकुलरिज्म का झंडा उठा रखा है: सिकंदर अली ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पर हमला बोलते हुए कहा कि वे मुसलमानों को बीजेपी का डर दिखाकर केवल उनसे वोट हासिल करना चाहते हैं। मुसलमानों ने मुलायम सिंह यादव को 4 बार मुख्यमंत्री बनाया और अखिलेश यादव को एक बार मुख्यमंत्री बनाया लेकिन आज मुस्लिम मुद्दों पर यह लोग चुप्पी साधे हुए हैं।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जब अखिलेश यादव अपना घर ही नहीं संभाल पा रहे हैं तो पार्टी को क्या संभालेंगे? अखिलेश यादव की भाभी अपर्णा यादव भाजपा में जा चुकी है और चाचा शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी से अलग हो चुके हैं। ऐसे में अब्दुल कब तक उनका रथ खींचेगा।
बता दें, समाजवादी पार्टी नेता सिकंदर अली ने ऐसे समय पर इस्तीफा दिया है जब पार्टी के कई नेताओं ने अखिलेश यादव पर मुसलमानों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है।