आगामी शुक्रवार (23 मार्च) को देशभर की 25 राज्यसभा सीटों पर चुनाव होंगे। इनमें से 10 सीटें यूपी से भरी जाएंगी। आठ सीटों पर बीजेपी उम्मीदवार की जीत तय है। नौवें पर सपा उम्मीदवार की जीत तय है लेकिन 10वें सीट को लेकर दोनों तरफ से सियासी जोड़-तोड़ का खेल जारी है। बीजेपी ने नौवें प्रत्याशी को खड़ा कर चुनाव को रोचक बना दिया है। उधर, सपा अपने उम्मीदवार जया बच्चन को चुनने के बाद सरप्लस वोट बसपा प्रत्याशी को देकर गोरखपुर और फूलपुर उप चुनावों में लिया मायावती का कर्ज उतारना चाहती है लेकिन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह सपा-बसपा की इस दोस्ती को यहीं खत्म करने पर आमादा हैं।

बीजेपी अध्यक्ष की नजर सपा के विधायकों को ही तोड़ने की है। पिछले 24 घंटे में अमित शाह की रणनीति से बीजेपी का किला मजबूत होता दिख रहा है। राष्ट्रपति चुनाव के वक्त सपा के जिन सात सांसदों ने एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को वोट दिया था वे सभी बुधवार (21 मार्च) को पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा बुलाई गई बैठक से नदारद थे। ऐसे में माना जा रहा है कि सपा के ऐसे सात विधायक कहीं क्रॉस वोटिंग कर बीजेपी को फायदा न पहुंचा दे। एनडीए खेमे में नाराज चल रहे सहयोगी ओमप्रकाश राजभर को भी अमित शाह ने मना लिया है। फिलहाल वो एनडीए में बने रहेंगे। यूपी सीएम योगी से उनकी नहीं पट रही थी।

403 सदस्यों वाली यूपी विधानसभा में फिलहाल 324 सदस्य एनडीए खेमे में हैं। इनके बल पर आठ सांसदों को चुनने के बाद 28 वोट सरप्लस रह जाते हैं। अगर सपा के सात बागी विधायकों का साथ मिल जाता है तो बीजेपी के पास कुल 35 वोट हो जाएंगे। यानी मात्र दो विधायकों की कमी रह जाएगी। बता दें कि एक सांसद चुने जाने के लिए 37 वोट की दरकार है। यहां यह बात गौर करने वाली है कि जिस निषाद पार्टी के अध्यक्ष के बेटे को अखिलेश यादव ने गोरखपुर से उम्मीदवार बनाकर संसद पहुंचाया उसी दल के एकमात्र विधायक विजय मिश्रा ने बीजेपी का साथ देने का एलान किया है।

इन 11 का राज्‍यसभा जाना लगभग तय: नाम छोटे, पर राहुल गांधी को पहुंचा सकते हैं बड़ा नुकसान

23 मार्च को राज्यसभा के लिए चुनाव होने हैं। उत्तर प्रदेश से भी 10 सीटों के लिए वोटिंग होनी है। बीजेपी ने कुल नौ प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं।

इनके अलावा तीन निर्दलीयों में से दो सपा के करीब आ रहे हैं ऐसे में तीसरे को अमित शाह अपने पाले में करने में कामयाब हो सकते हैं। सूत्र बता रहे हैं कि निर्दलीय विधायक राजा भैया और मायावती के बीच रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं। इसलिए वो बीजेपी की तरफ भी आ सकते हैं। अगर अमित शाह ने ऐसी सियासी जोड़-तोड़ कर ली तो बीजेपी के नौवें उम्मीदवार का भी संसद पहुंचना संभव हो सकता है। हालांकि, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी उधर, सियासी गोटी बिठाने में व्यस्त हैं।