उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिला कोर्ट ने 7 अक्टूबर को एक ऐसा फैसला सुनाया, जिसकी पूरे देश में चर्चा होने लगी। सितंबर 2016 में एक हत्या हुई थी, जिसमें आरोपी मृतक की पत्नी और उसका साथी था। 7 अक्टूबर 2023 को इस मामले में अदालत का फैसला आया और उसने आरोपी रमनदीप और गुरप्रीत (गुरप्रीत सिंह उर्फ मिट्ठू) को सजा सुनाई। इसमें हैरान करने वाली बात यह थी कि इस मामले का खुलासा आरोपी रमनदीप के बेटे ने किया, जो घटना के वक्त केवल 9 वर्ष का था।
चश्मदीद बेटे ने बताया, “रात के अँधेरे में उसने देखा कि उसकी माँ रमनदीप उसके पिता सुखजीत के पास उसके चेहरे पर तकिया दबाए हुए बैठी थी। जैसे ही वह रुकी एक अन्य परिचित व्यक्ति, ‘मिट्ठू चाचा’ (गुरप्रीत) ने सुखजीत के सिर पर हथौड़े से दो जोरदार वार किए। शरीर में हल्की हलचल हुई। चाचा ने फिर एक चाकू दिया, जिससे रमनदीप ने सुखजीत की गर्दन काट दी।” नौ साल के बच्चे ने अपनी आंखें बंद कर लीं और चादर अपने चेहरे पर खींच ली और सोने का नाटक किया।
7 अक्टूबर को शाहजहांपुर जिला अदालत ने 38 वर्षीय रमनदीप को अपने पति सुखजीत सिंह उर्फ सोनू की सात साल पहले 2 सितंबर, 2016 को जिले के बसंतपुर गांव में हत्या करने के आरोप में मौत की सजा सुनाई। सुखजीत के बचपन के दोस्त गुरप्रीत ने रमनदीप का साथ दिया था और उसे आजीवन कारावास की सजा दी गई। कोर्ट ने गुरप्रीत को आर्म्स एक्ट के तहत भी दोषी ठहराया। सजा सुनाए जाने के बाद, रमनदीप और गुरप्रीत (जो जमानत पर बाहर थे) को हिरासत में ले लिया गया और शाहजहांपुर जिला जेल भेज दिया गया।
कैसे साथ आए सुखजीत और रमनदीप?
2001-2 में सुखजीत (जिन्होंने 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की थी) अपनी बहन कुलविंदर और उनके पति कुलदीप जो अखबार डिलीवरी वैन चलाते थे, उनके साथ रहने के लिए लंदन के पश्चिम में एक शहर स्लो (Slough City) में चले गए।
सुखजीत ने एक पिज़्ज़ा की दुकान खोली और बिल्डिंग ठेकेदार के रूप में भी काम किया। यहीं उनकी पहली मुलाकात रमनदीप से हुई। चॉकलेट फैक्ट्री के कर्मचारी पॉल सिंह मान और अमरजीत कौर मान की तीन बेटियों में से दूसरी रमनदीप एक दुकान में काम करती थी और उसी पड़ोस में रहती थी जहां सुखजीत का बिल्डिंग प्रोजेक्ट था।
दोनों ने एक-दूसरे से मिलना शुरू कर दिया, हालांकि रमनदीप का परिवार उसके साथी की पसंद से खुश नहीं था। 2005 में इस जोड़े ने ब्रिटेन के एक गुरुद्वारे में रमनदीप के माता-पिता की उपस्थिति में शादी कर ली। इंडियन एक्सप्रेस ने उसके माता-पिता से संपर्क किया लेकिन उन्होंने मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। अपनी शादी के एक दिन बाद रमनदीप और सुखजीत भारत आ गए और शाहजहांपुर में अपने पैतृक गांव बसंतपुर में रहने लगे।
2013 में सुखजीत और रमनदीप अपने दो बच्चों के साथ स्लो से डर्बीशायर के सेंट्रल इंग्लिश काउंटी में चले गए, जहां उन्होंने लॉरी ड्राइवर के रूप में काम करना शुरू कर दिया। परिवार के 20 एकड़ कृषि क्षेत्र के बीच में स्थित अपने दो मंजिला घर में बैठी सुखजीत की मां बंस कौर ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “वहां रहने के दौरान, मैंने कभी नहीं सोचा था कि रमनदीप के बारे में कुछ भी संदिग्ध था। जब तक वह दूसरा आदमी उनके जीवन में नहीं आया तब तक सब ठीक था।”
1991 में एक सड़क दुर्घटना में सुखजीत के पिता सरदार बलदेव सिंह की मृत्यु के बाद, उनकी मां बंस कौर ने अपने 10 वर्षीय बेटे को एक बोर्डिंग स्कूल में भेज दिया था और जब बात नहीं बनी तो सुल्तानपुर के एक स्कूल में भेज दिया। गुरप्रीत सुखजीत के ही स्कूल में गया। हालांकि उनका परिवार लगभग 3 किमी दूर जैनपुर से है। यानी कि सुखजीत और गुरप्रीत बचपन के साथी थे और उनका घर भी आसपास था। गुरप्रीत अपने पिता की चाची के साथ हरनामपुर में रहता था। दोनों लड़के एक साथ स्कूल जाते थे और अपनी शाम खेलते हुए बिताते थे।
पुलिस के मुताबिक, 28 जुलाई 2016 को सुखजीत, रमनदीप और बच्चे भारत आए। गुरप्रीत जो उस समय पहले से ही भारत में थे, उन्होंने उन्हें दिल्ली हवाई अड्डे पर रिसीव किया और उन्हें अपनी कार में सुखजीत के घर शाहजहाँपुर ले गए। दो दिनों तक शाहजहांपुर में रहने के बाद गुरप्रीत सुखजीत और परिवार के साथ आगरा, जयपुर, जोधपुर और दिल्ली के दौरे पर गए, जिसके बाद वे 15 अगस्त को लौट आए। रमनदीप के माता-पिता और छोटा भाई भी शाहजहाँपुर आए।
अगले सप्ताह सुखजीत, गुरप्रीत, रमनदीप और उसके माता-पिता ने शाहजहांपुर में एक साथ समय बिताया। बंस कौर ने कहा, ”हर कोई बहुत खुश था, उन जगहों के बारे में बात कर रहा था जहां वे गए थे। मुझे रमनदीप और गुरुप्रीत के बीच कुछ भी अजीब नहीं याद है, लेकिन दोनों लगातार अपने फोन पर थे।”
अदालत के रिकॉर्ड कहते हैं कि 22 अगस्त को गुरप्रीत ने सुखजीत के परिवार से यह कहकर विदा ली कि वह अपने घर पंजाब जा रहा है। कुछ घंटों बाद रमनदीप के माता-पिता और भाई भी अपने रिश्तेदार के घर जाने के लिए शाहजहांपुर से निकल गए।
बंस कौर ने बताया, “1 सितंबर को, रमनदीप ने हम सभी के लिए बिरयानी बनाई। उनकी शादी के बाद यह पहली बार था कि रमनदीप ने मेरी रसोई में खाना पकाने की पेशकश की थी और मैं उसे यह काम करने देने से बहुत खुश थी। रात के खाने के बाद, हम सभी सोने चले गए। मैं नीचे मंजिल पर और सुखजीत, रमनदीप और बच्चे पहली मंजिल पर थे।”
अभियोजन पक्ष के अनुसार, रमनदीप ने कथित तौर पर गुरप्रीत को फोन किया, जो पंजाब के लिए रवाना होने का दावा करते हुए शाहजहाँपुर के एक होटल में रह रहा था। विशेष लोक अभियोजक अशोक कुमार खन्ना ने अदालत को बताया कि गुरप्रीत ने फिर एक टैक्सी किराए पर ली, जिसे उसने सुखजीत के शाहजहांपुर स्थित घर से कुछ मीटर की दूरी पर रोका और नीचे चला गया।
अदालत में गवाही देते हुए टैक्सी चालक इकरार ने पुलिस को बताया कि गुरप्रीत ने 1 सितंबर, 2016 की रात को उसका वाहन किराए पर लिया था। उसने कहा कि गुरप्रीत, (जो एक बैग ले जा रहा था) ने उसे बसंतपुर के एक गोदाम में वाहन रुकवाया और कहा कि वह वापस आ जाएगा। पुलिस के अनुसार दोपहर करीब 12.30 बजे, गुरप्रीत ने ड्राइवर को फोन किया और उसे गोदाम में मिलने के लिए कहा। गुरप्रीत के साथ एक महिला थी, जिसने अपना सिर और चेहरा चुन्नी से ढका हुआ था।
विशेष लोक अभियोजक अशोक कुमार खन्ना ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि ड्राइवर ने शुरू में गुरप्रीत के साथ महिला की पहचान रमनदीप के रूप में की थी, लेकिन जिरह के दौरान उसने दावा किया कि उसने महिला का चेहरा ठीक से नहीं देखा था।
बंस कौर ने कहा, “मुझे यकीन है कि रमनदीप और गुरप्रीत रिश्ते में थे। उन्होंने मेरे बेटे को रास्ते से हटाने के लिए उसे मार डाला। मैंने यह सुनिश्चित कर अपने जीवन का मिशन बना लिया था कि मेरे बेटे के हत्यारों को सजा मिले।”