बहुजन समाज पार्टी (BSP) की अध्यक्ष मायावती ने शनिवार को पूर्व मंत्री और पार्टी के प्रमुख ब्राह्मण नेता नकुल दुबे को अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण पार्टी से निष्कासित कर दिया। बसपा के सूत्रों ने बताया कि यह कार्रवाई उन खबरों के बाद की गई जिसमें यह बताया गया कि नकुल दुबे पार्टी बदल सकते हैं। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में बसपा का प्रदर्शन काफी खराब रहा है।
लखनऊ से विधायक रह चुके नकुल दुबे को बीएसपी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा का काफी करीबी और भरोसेमंद माना जाता है। जब 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले बीएसपी नेता सतीश चंद्र मिश्रा ब्राह्मण वोटरों तक पहुंचने के लिए प्रबुद्ध सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे, उस समय नकुल दुबे, सतीश मिश्रा के साथ रहते थे और नकुल दुबे भी इन सभाओं को संबोधित किया करते थे।
नकुल दुबे राजनीति में आने के पहले एक प्रसिद्ध वकील थे और 2006 में उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के अध्यक्ष भी चुने गए थे। 2007 में उन्होंने बीएसपी जॉइन कर अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की और लखनऊ की महोना सीट से बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीतकर विधानसभा पहुंचे। 2007 में जब मायावती मुख्यमंत्री बनीं, उस दौरान उन्होंने नकुल दुबे को अपनी कैबिनेट में शामिल किया और प्रदेश का नगर विकास मंत्री बनाया। 2012 के विधानसभा चुनाव में भी नकुल दुबे ने चुनाव लड़ा लेकिन इस बार वह चुनाव हार गए।
नकुल दुबे बीएसपी के लिए मेहनत करते रहे और उसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में नकुल दुबे को बीएसपी प्रमुख मायावती ने लखनऊ लोकसभा सीट से टिकट दिया लेकिन नकुल दुबे चुनाव हार गए। उसके बाद 2019 लोकसभा चुनाव में भी नकुल दुबे को मायावती ने सीतापुर लोकसभा से टिकट दिया लेकिन नकुल दुबे एक बार फिर से चुनाव हार गए।
बता दें कि 2022 विधानसभा चुनाव के पहले नकुल दुबे को पार्टी के बड़े ब्राह्मण चेहरे के तौर पर प्रस्तुत किया गया था, लेकिन पार्टी का विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन काफी खराब रहा। विधानसभा चुनाव 2022 में बीएसपी को महज एक सीट प्राप्त हुई, जबकि पार्टी का वोट शेयर भी 13 फ़ीसदी पर आ गया।