इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने यूपी पुलिस के एंटी-रोमियो स्क्वैड पर कानूनी मुहर लगा दी है। भाजपा सांसद योगी आदित्य नाथ के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद यूपी पुलिस ने महिलाओं और लड़कियों के संग छेड़खानी रोकने के लिए विशेष दस्ते का गठन किया। हाई कोर्ट ने गुरुवार (30 मार्च) को कहा, “राज्य सरकार के इस प्रयास और ऐसी पुलिसिंग के लिए विशेष दस्ते के गठन में हमें कोई गैर-कानूनी या असंवैधानिक बात नहीं दिख रही है” हाई कोर्ट वकील गौरव गुप्ता की जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रहा था।
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के इस फैसले को “मोरल पुलिसिंग” मानने से इनकार कर दिया। हाई कोर्ट ने कहा है कि दरअसल ये “पुलिसिंग” पर रोक की कोशिश है। याचिककर्ता गौरव गुप्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद बनाया गया ये विशेष दस्ता मूलतः “मोरल पुलिसिंग” (नैतिकता की पहरेदारी) है। याचिकाकर्ता की मांग थी कि हाई कोर्ट राज्य सरकार को आदेश दे कि एंटी-रोमियो स्क्वैड बालिगों और प्रेमी जोड़ों की निजता का उल्लंघन न करे।
याचिका में कहा गया था कि पुलिस की अवांछित कार्रवाई से शांति-व्यवस्था भी भंग हो सकती है। जस्टिस एपी साही और जस्टिस संजय हरकौली ने अपने फैसले में कहा, ” मौजूदा हालत से निपटने के लिए जो कमी होगी उसे दुरुस्त करने के लिए राज्य सरकार कानून बना सकती है।” इस बाबत हाई कोर्ट ने तमिलनाडु और गोवा में महिलाओं की सुरक्षा और उत्पीड़न से जुड़े कानूनों का भी हवाला दिया।
इससे पहले हाई कोर्ट ने लखनऊ पुलिस चीफ को तलब किया है। पुलिस की तरफ से एसएसपी मंजिल सैनी ने पुलिस डीजीपी द्वारा तय किए गए दिशा-निर्देश अदालत में प्रस्तुत किए। यूपी सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि एंटी-रोमिय स्क्वैड से जुड़े सभी कदम दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और पुलिस एक्ट और पुलिस नियमन कानूनों के अनुरूप हैं।