कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है। इसके साथ ही पार्टी में चल रही खींचतान भी सामने आ रही है। कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप माथुर अपने विधानसभा क्षेत्र में कुछ ब्राह़मण नेताओं द्वारा पोस्टर लगाए जाने से नाराज हैं। अटकलें लगाई जा रही है कि माथुर को बदला जा सकता है। मथुरा से तीन बार विधायक रहे माथुर ने यह मुद्दा राज्य के इंचार्ज गुलाम नबी आजाद के सामने भी उठाया है। सूत्रों का कहना है कि माथुर को यह लगता है कि चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर चाहते हैं कि उन्हें टिकट न दिया जाए। साथ ही मथुरा से ब्राह्मण नेता को मैदान में उतारा जाए। गौरतलब है कि प्रशांत किशोर का मानना है कि यूपी में कांग्रेस को ब्राह्मण मतों को अपनी ओर खींचना चाहिए।
किशोर को जब यूपी की जिम्मेदारी दी गई थी उस समय उन्होंने सीएम उम्मीदवार के लिए ब्राह्मण चेहरा लाने को कहा था। इसी के चलते दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को चेहरा बनाया गया था। किशोर का आइडिया है कि बाबरी मामले से पहले ब्राह्मण कांग्रेस का कोर वोट बैंक था। इस पर फिर से ध्यान दिया जाए। कांग्रेस के अपर कास्ट आधार के चलते ही सपा और बसपा का जन्म हुआ। उत्तर प्रदेश में 10 प्रतिशत जनसंख्या ब्राह्मणों की है। बाबरी मामले तक यह कांग्रेस के पाले में थे लेकिन इसके बाद से भाजपा के समर्थक हैं। ब्राह्मण मतों को लेकर किशोर का आइडिया नया नहीं है। सपा, बसपा और भाजपा पूर्वी उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण सम्मेलन कराते रहे हैं। यूपी में 20 प्रतिशत मत ब्राह्मणों के हैं। 2007 में मायावती ने 89 ब्राह्मणों समेत 139 सवर्णों को टिकट दिया था।
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