उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को जल्द ही एक बड़ा फैसला लेना होगा जिससे उनके और चाचा शिवपाल यादव के बीच फिर से कलह हो सकती है। दरअसल, इस बार मामला चौधरी चरण सिंह कॉलेज का है। यह कॉलेज इटावा में है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (27 सितंबर) को राज्य सरकार से कहा कि उसे चौधरी चरण सिंह कॉलेज को अपने अधीन कर लेना चाहिए। वहीं इस वक्त कॉलेज की कमान शिवपाल के हाथों में है। वह इस कॉलेज की गवर्निंग बॉडी के प्रमुख हैं। दरअसल, राज्य सरकार ने कॉलेज के विकास के लिए लगभग 100 करोड़ रुपए लगा दिए थे। इसपर ही सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आया है। चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने राज्य सरकार के वकील हरीश साल्वे से कहा, ‘आप लोगों ने इस कॉलेज में 100 करोड़ रुपए लगाकर इसे संपत्ति बना दिया है। अब इसे राज्य सरकार के अधीन होना ही चाहिए। अब यह राज्य सरकार का संस्थान हो गया है। आपको इसे जल्द से जल्द अपने कंट्रोल में लेना चाहिए।’
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इस कॉलेज को मुलायम सिंह यादव ने अपने चचेरे भाई रामगोपाल यादव के साथ मिलकर बनाया था। रामगोपाल भी इसकी गवर्निंग बॉडी के सदस्य हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जल्द से जल्द अखिलेश को इसपर कोई फैसला लेने को कहा है। कोर्ट ने 2002-03 के बीच राज्य सरकार के कोष से 100 करोड़ रुपए रिलीज करने की भी आलोचना की। कोर्ट ने कहा कि इस कॉलेज को चौधरी चरण सिंह की याद में बनवाया गया था लेकिन तब से अबतक इसपर एक परिवार का ही ‘राज’ हो गया है। यह पैसा मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए रिलीज किया गया था। एमएन राय नाम के एक एक्टिविस्ट ने ही कॉलेज के लिए जनहित याचिका डाली थी। इसमें सरकार के पैसे पर चल रही इस प्राइवेट कॉलेज के बारे में सवाल उठाए गए थे।
कोर्ट की तरफ से सीनियर वकील महालक्ष्मी पावनी को केस लड़ने के लिए सामने लाया गया था। उन्होंने यूपी सरकार का एक एफिडेविट दिखाते हुए कहा था कि जिस जमीन पर कॉलेज है वह यूपी सरकार की है। उन्होंने कहा था कि कॉलेज को राज्य सरकार के अधीन किया जाना चाहिए।

