यूपी में कांग्रेस सीएम पद का उम्मीवार बनने के लिए शीला दीक्षित ने काफी समय लिया। उन्होंने दो बार यह प्रस्ताव ठुकरा दिया था लेकिन प्रियंका वाड्रा के कहने पर सहमति दे दी। यूपी चुनाव के लिए कांग्रेस सीएम उम्मीदवार बनाने के लिए प्रियंका के साथ राजीव शुक्ला और गुलाम नबी आजाद भी शीला के घर गए थे।
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मार्च में कांग्रेस नेताओं की बैठक में शीला के नाम पर सहमति बनी थी। चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा था कि कांग्रेस को ब्राह्मण को सीएम चेहरा बनाना चाहिए। यूपी में नौ प्रतिशत आबादी ब्राह्मण है और विपक्षी पार्टियां भी इनकी उपेक्षा कर रही हैं। तत्कालीन महासचिव मधुसूदन मिस्त्री और किशोर ने कहा था कि मायावती और मुलायम सिंह यादव जैसे नेताओं से मुकाबला करने के लिए सीएम चेहरा घोषित करना होगा।
इसके बाद कांग्रेस के आला नेताओं की बैठक में जितिन प्रसाद, राजेश मिश्रा और प्रमोद तिवारी जैसे नेताओं के नामों पर भी चर्चा हुई थी। लेकिन अलग-अलग कारणों के चलते इनकी दावेदारी खारिज हो गई। बाद में शीला दीक्षित का नाम सामने आया और उन्हें प्रस्ताव दिया गया लेकिन उन्होंने मना कर दिया। राजीव शुक्ला और गुलाम नबी आजाद ने उन्हें मनाने का प्रयास किया लेकिन प्रियंका वाड्रा के कहने पर ही शीला राजी हुई। शीला का जन्म पंजाब में हुआ है लेकिन उनकी शादी उन्नाव के कांग्रेस नेता उमाशंकर दीक्षित के बेटे विनोद दीक्षित से हुई है।
उमाशंकर दीक्षित स्वतंत्रता सैनानी थे और इंदिरा गांधी कैबिनेट में गृह मंत्री थे। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि शीला का यूपी कनेक्शन और दिल्ली की सीएम में ट्रैक रिकॉर्ड पार्टी के काम आएगा।