उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी का राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष बनने के बाद नरेश उत्‍तम को यूपी सपा का नया अध्‍यक्ष नियुक्‍त किया। उत्‍तम विधान परिषद के सदस्‍य हैं और कुर्मी समाज से आते हैं। फतेहपुर से ताल्‍लुक रखने वाले उत्‍तम कानपुर यूनिवर्सिटी से आर्ट्स में पोस्‍ट ग्रेजुएट हैं। 1980 में मुलायम सिंह के संपर्क में आने के बाद वे राजनीति में आए। उन्‍हें समर्पित सपा कार्यकर्ता और विवादरहित नेता कहा जाता है। अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि वे पार्टी के विश्‍वस्‍त हैं और शुरुआत से इसके साथ हैं। पार्टी संगठन और कैडर जोड़ने में भी उत्‍तम की बड़ी भूमिका है।

उत्‍तम साल 1989 में सबसे पहले जनता दल प्रत्‍याशी के रूप में जहानाबाद से विधायक चुने गए थे। 1989 से 1991 के बीच मुलायम सिंह की पहली सरकार में वे मंत्री थे। 1993 में मुलायम के दूसरे कार्यकाल में दौरान उन्‍हें यूपी पिछड़ा आयोग का सदस्‍य बनाया गया और मंत्री पद दिया गया। 2006 और 2012 में भी वे एमएलसी थे। रोचक बात है कि जब अखिलेश यादव उत्‍तर प्रदेश सपा के अध्‍यक्ष थे तो उत्‍तम उनके डिप्‍टी थे। लेकिन शिवपाल के पद संभालने के बाद उन्‍हें हटा दिया गया वे जनेश्‍वर मिश्र ट्रस्‍ट के सदस्‍य भी हैं जिसके मुखिया अखिलेश हैं। जून 2016 में जब अखिलेश और शिवपाल के बीच झगड़ा शुरू हुआ था उस समय उत्‍तम सीएम के साथ खड़े हुए थे।

उन्‍होंने बताया, ”मैं मुलायम सिंह यादव से 1980 से जुड़ा हुआ हूं। मुलायम के निर्देशों के अनुसार मैंने प्रत्‍येक चुनाव में अखिलेश को मजबूत करने के लिए काम किया।” रविवार (एक जनवरी) को उत्‍तम ने अखिलेश के समर्थन में नारों के बीच अध्‍यक्ष पद संभाला। पद संभालने के बाद समर्थकों को संबोधित करते हुए उन्‍होंने कहा कि आगामी चुनावों के लिए कड़ी मेहनत की शपथ लेंऔर अखिलेश को फिर से मुख्‍यमंत्री बनाने में जुट जाएं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि उत्‍तम शिवपाल वाले कमरे में नहीं बैठे। इसके बजाय उन्‍होंने अपना पुराना कमरा ही चुना।