महिला एवं बाल कल्याण विभाग और समाज कल्याण विभाग की तरफ से सामूहिक विवाह समारोह में चार मुस्लिम अनाथ लड़कियों की शादी हिंदू रीति रिवाजों से कराने पर मुस्लिम नेता भड़क गए हैं। लड़कियों की शादी हिंदू लड़कों के साथ ही कराई गई थी। इस मामले की न्यायिक जांच की मांग की है।
लखनऊ में 17 अक्टूबर कोसामूहिक विवाह समारोह आयोजित हुआ था। महिला एवं बाल कल्याण विभाग और समाज कल्याण विभाग की तरफ से यह शादियां कराई गई थीं। इसमें ही शेल्टर होम की अनाथ लड़कियों की शादी कराई गई थी। उनके नाम मुस्लिम थे लेकिन उनकी शादी हिंदू लड़कों के साथ हिंदू रीति-रिवाज से की गई। चारों लड़कियों का स्पेशल मैरेज ऐक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन भी किया गया। अब मौलानाओं ने इस शादी का विरोध किया है।
उधर, इस मामले में अधिकारियों ने बताया कि चारों लड़कियों को 6-10 साल की उम्र में मोतीनगर के शेल्टर होम में लाया गया था। उनके सिर्फ नाम मुस्लिम हैं लेकिन वह हिंदू धर्म मानती हैं। हिंदू लड़कों के साथ लड़कियों की शादी भी उनकी मर्जी से हुई है। शादी के बाद वह अपने पति का धर्म अपनाएंगी।
इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि, हिंदू रीति-रिवाज से मुस्लिम लड़कियों की हिंदू लड़कों से कराई गई शादी की जांच होनी चाहिए। लड़कियों की सहमति शादी के लिए थी या नहीं इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि, मुस्लिम मौलानाओं को शादी से पहले जिला प्रशासन को विश्वास में लेना चाहिए था।
शिया मौलाना सैफ अब्बास ने भी न्यायिक जांच करते हुए कहा कि, जिला प्रशासन ने जिस तरह से शादी कराई हैं, उससे हिंदू और मुस्लिमों के बीच संबंध खराब हो सकते हैं। जब स्पेशल मैरेज ऐक्ट के तहत कोर्ट में शादी करा दी गई थी तो फिर हिंदू रीति-रिवाज से मंडप में सात फेरे क्यों करवाए गए।