मुलायम कुनबे मे मचे बबाल के बीच उनके गृह जिले इटावा और गृहनगर सैफई मे पूरी तरह से सन्नाटा पसर हुआ। पहले कभी अपनी राय सुमारी खुल कर जाहिर करने वाले उनके करीबी और सपा समर्थक अब चुप्पी साधे हुए है और बडी ही होशियारी से अपनी बात कहने की हिम्मत दिखा रहे है। जितने भी लोगो से बात हुई है उनके से अधिकाधिक लोगो की रायॅ अखिलेश यादव के पक्ष मे इसलिए दिखी क्यो कि उनका मानना है कि अखिलेश यादव ही समाजवादी पार्टी का भविष्य है लेकिन यहॉ के लोग आज भी सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को सवर्मान्य नेता मान रहे है। समाजवादी पार्टी में बीते एक माह से भी अधिक समय से चल रही चाचा-भतीजे की जंग अब खुलकर सामने आ जाने के बाद हलचल मच गयी। इस जंग में चाचा शिवपाल सिंह यादव व भतीजे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के इटावा स्थित रिश्तेदारों ने पूरी तरह मौन साध लिया है। इस जंग में परिवार के लोग कोई प्रतिक्रिया देने से बचते रहे। उनका मानना था कि वे अभी मुलायम सिंह के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। शिवपाल यादव के भाई राजपाल यादव फ्रेंड्स कालोनी स्थित अपने आवास पर थे परंतु मीडिया के कुरेदे जाने पर वे कुछ नहीं बोले। वहीं उनके पुत्र जिला पंचायत अध्यक्ष अभिषेक यादव मामले की भनक लगते ही सुबह ही अपनी पत्नी के साथ दिल्ली निकल गए। यही नहीं शिवपाल सिंह यादव के पुत्र पीसीएफ चेयरमैन अंकुर यादव भी सुबह सैफई में थे। जैसे ही लखनऊ में घटनाक्रम चालू हुआ वह भी अचानक सैफई से निकलकर लखनऊ के लिए रवाना हो गए।
मुलायम सिंह यादव के बहनोई व अखिलेश के फूफा डा. अजंट सिंह यादव मीडिया के सामने तो आए परंतु उन्होंने पूरे घटनाक्रम पर बोलने से यह कह कर इंकार कर दिया कि यह राजनेताओ का मामला है इसमे हम लोगो का मत नही है। उनका कहना था कि वे पारिवारिक मामले पर कुछ नहीं बोल सकते। कुल मिलाकर परिवार के सदस्यों में लखनऊ में चल रहे सियासी घटनाक्रम को लेकर उहा-पोह की स्थिति बनी हुई है। उनके समझ में यह नहीं आ रहा कि फिलहाल वे किस तरफ जायें। हालांकि परिवार के लोग पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के फैसलों की तरफ देख रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के फैसले व रामगोपाल यादव के पार्टी से निष्कासन के बाद से इटावा में पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं में अघोषित सन्नाटा पसरा हुआ है। लखनऊ में हुए सियासी घटनाक्रम के बाद सिविल लाइन स्थिति सपा कार्यालय में सन्नाटा रहा व शिवपाल सिंह यादव के चौगुर्जी स्थित मकान में भी पसरा सन्नाटा। सैफई स्थित मुलायम सिंह यादव का पैतृक आवास जहां पर अब सांसद तेज प्रताप सिंह यादव रहते हैं यहां भी सन्नाटा पसरा हुआ दिख रहा है।
मुलायम परिवार में पिछले कई दिनो से चल रहा आंतरिक संघर्ष के बीच सैफई मे अजीब से खामोशी कायम है लेकिन यहॉ के लोग सीएम अखिलेश यादव के खिलाफ लगातार मुलायम सिंह यादव की सख्ती के बाद हैरत और सकते मे है उनको यह समझ नही आ रहा है कि एक पिता का अपने होनहार और उनके उत्तराधिकारी बेटे के प्रति इस तरह की बेरुखी आखिर क्यों कायम हो गई। पूरे मसले को लेकर सैफई के बड़े बुर्जग से लेकर युवा खुल कर अपनी रायशुमारी करने के लिए तैयार नही है लेकिन दबी जुबान से यह बताने मे गुरेज नही करते है कि नेता जी के कई निर्णय अखिलेश यादव के राजनैतिक कैरियर पर ब्रेक के सामन खड़े हो गए है। उनका यह भी मानना है कि मौजूदा वक्त मे समाजवादी पार्टी के आज की सबसे बडी जरूरत सिर्फ अखिलेश यादव ही है क्योंकि अखिलेश यादव पार्टी का सबसे लोकप्रिय चेहरा बन गए है बिना अखिलेश यादव के चेहरे के समाजवादी पार्टी कोई बड़ा चमत्कार करने की स्थिति मे नही है। सैफई के युवा से लेकर बुर्जग तक इस बात से बेहद दुखी है कि मुलायम परिवार के सदस्यों के बीच सत्ता संधर्ष बड़े जोरों पर चल रहा है जहां एक वक्त सैफई के लोग मुलायम सिंह यादव,रामगोपाल यादव, शिवपाल, अखिलेश और समाजवादी पार्टी की चर्चा करने मे पीछे नही रहते थे लेकिन आज सब के सब चुप्पी साधे हुए है।
मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल सिंह यादव को जब प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई और चंद घंटे बाद ही उनके मंत्रालय उनसे छीन लिए गए उस दिन वो इटावा और सैफई ही थे उन्होने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया लेकिन इन सबके के बाद भी सैफई गांव के लोगो ने इस प्रकरण से अपने आप को अलग ही रखा। सैफई के किसी भी बाशिंदे से शिवपाल के इस्तीफे के बाद इस मामले मे दिलचस्पी नही दिखाई। उसके बाद लखनऊ मे सब कुछ होता रहा किसी ने कुछ भी रायसुमारी नही की। जिस दिन लखनऊ और इटावा या फिर जसवंतनगर मे प्रदर्शन हुआ उस दिन भी सैफई के लोगों ने इस विवाद से अपने आप को पूरी तरह से अलग ही रखा। प्रो.रामगोपाल यादव के भतीजे और सैफई मेडिकल कॉलेज के डॉ.अक्षय यादव का कहना है कि समाजवादी पार्टी मे आए संकट के लिए पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले प्रो.रामगोपाल यादव ही जिम्मेदार रहे इसलिए उनके खिलाफ जो कार्यवाही निलंबन की गई है वह पूरी तरह से सही है। उनका कहना है कि प्रो.रामगोपाल यादव का व्यवहार ऐसा है कि वो खुद एक प्रधान का चुनाव नही जीत सकते लेकिन नजरिया ऐसा है जैसे बहुत बड़ी पार्टी का संचालन कर रहे थे असल मे वो ही अखिलेश यादव को भड़का रहे थे उनके उपर जो आरोप भाजपा से मिली भगत के लगाये गये है वह पूरी तरह से सही ही माने जाएंगे क्योंकि सबको पता है कि यादव सिंह की डायरी मे उनका, उनके सांसद बेट अक्षय यादव और बहु का नाम आया था लेकिन अपने भाजपाई रिश्तों के कारण अपने को बचा लिया और पार्टी की बलि चढ़ावा दी।
सैफई गांव के सबसे बुज़ुर्ग माने जाने वाले रामरतन यादव वैसे तो गांव को लेकर तरह तरह की बाते करने मे यकीन रखते है लेकिन यादव परिवार में चल रही खींचतान के बारे में सीधे कहते हैं, इस बारे में हम कुछ नहीं कहेंगे। किसका मंत्री पद गया किसको पार्टी से निकाला गया सब पर उन्होने अपनी चुप्पी ही साधी। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के करीबी, सैफई गांव के प्रधान दर्शन सिंह यादव कहते है कि घर की लड़ाई है, हम बीच में क्यों टांग अड़ाएं. आज लड़ रहे हैं, कल फिर एक हो जाएंगे। लेकिन बात जब अखिलेश यादव की होती है तो अखिलेश की तारीफ वो करने से पीछे नही रहते इसी से उनकी सहानभूति का अंदाजा लग जाता है। उन्होने शिवपाल यादव के मंत्रीमंडल से हटाए जाने और रामगोपाल यादव के पार्टी से निकाले जाने पर कुछ भी राय व्यक्त नही की। इन सबके बावजूद पार्टी के स्थानीय सपा नेता के.के. यादव का कहना है कि सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव का निष्कासन पूणर्रूपेण सही है। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को अपमानित करते हुए उनकी निजी जिंदगी को सार्वजनिक कराने का कार्य प्रो. रामगोपाल के निर्देशन में एमएलसी उदयवीर सिंह ने किया था। प्रो. रामगोपाल सपा को मजबूत करने वाले कार्यकर्ताओं की सदैव उपेक्षा करते आए हैं। नगर पालिका चुनाव में पार्टी प्रत्याशी नफीसुल हसन अंसारी को हराने में अहम भूमिका प्रो. रामगोपाल ने निभाई थी, काश उसी समय उनका निष्कासन हो जाता तो शायद पार्टी को यह दिन नहीं देखना पड़ता।
27 अक्टूबर को इटावा मे भाजपा के राष्टीय अध्यक्ष अमित शाह संकल्प रैली की तैयारियो मे जुटे भाजपा के प्रदेश मंत्री संतोष सिंह का कहना है कि सपा को भाजपा सरकार आने के सपने लगातार आ रहे हैं, इसीलिए उसमें भगदड़ और खलबली है। सपा की जमीन खिसक गई है। सपा और उसकी सरकार को गरीबों की आहें लगी हैं। दरअसल गरीबों की लूट और सत्ता के बंटवारे की जंग में सपा में कलह है। मुगलिया सल्तनत और। सपा तो एक परिवार है। उसकी न तो संगठनात्मक सोच है और न ही विचार। उसको तो टूटना ही था। पूरा परिवार भ्रष्टाचार में लिप्त है। भाजपा के जिलाध्यक्ष शिव महेश दुबे का कहना है कि सूबे में भाजपा की सरकार आ रही है, इसका अहसास सपा, बसपा, कांग्रेस को हो गया है। इसीलिए उनमें भगदड़ का माहौल है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की इटावा में रैली को लेकर जनता में कौतूहल है कि आखिर शाह क्या भाषण देंगे, क्या हुंकार भरेंगे। कांग्रेस जिलाध्यक्ष उदयभान सिंह यादव का कहना है कि सरकार की नाकामियों को छिपाने और जनता का ध्यान हटाने के लिए आपस में लड़ गए हैं। एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं, इससे साबित हो रहा है कि सपा सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर हो रहा। सत्ता के बंटरबांट की लड़ाई है। सपा का सारा घटनाक्रम दिखावा है, अंदरखाने सब एक हैं।