उत्तर प्रदेश में मेडिकल लापरहवाही का फिर से एक मामला सामने आया है। यूपी के लखीमपुर खीरी में एक पिता अपनी बेटी की डेड बॉडी को घर ले जाने के लिए एंबुलेस के लिए गिड़गिड़ाता रहा लेकिन किसी ने उसकी फरियाद नहीं सुनी। वहीं जिला प्रशासन के अधिकारियों का दावा है कि उसने एंबुलेंस के लिए अस्पताल प्रशासन से कोई बात नहीं की। यह घटना उस समय सामने आई जब लड़की के पिता रमेश का फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया।

अस्पताल प्रशासन ने बताया कि मितॉली क्षेत्र की रहने वाली 14 साल की लड़की को बुखार होने के चलते हेल्थ सेंटर में भर्ती किया गया था। हालात गंभीर होने पर मरीज को लखीमपुर जिला अस्पलात में भर्ती कराया गया था, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। लड़की के पिता रमेश ने कई लोगों से बेटी की डेड बॉडी को घर ले जाने के लिए एंबुलेंस की अपील की लेकिन किसी ने भी उसकी फरियाद नहीं सुनी। जिसके बाद रमेश बेटी की लाश को लेकर अस्पताल के बाहर फुटपाथ पर बैठा रहा और लोगों से मदद की भीख मांगता रहा।

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वहीं चीफ डेवलपमेंट ऑफिसर अमित सिंह बंसल का कहना है कि उन्होंने मरीज के इलाज और भर्ती कराने से जुड़े सभी दस्तावेज मांगे हैं। अस्पताल प्रशासन को क्लीन चिट देते हुए उन्होंने कहा कि अगर लड़की के पिता के एंबुलेंस के बारे में अस्पताल स्टाफ को सूचित किया होता तो वह जरुर एंबुलेस की व्यवस्था करते।

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गौरतलब है कि हाल ही में यूपी के मेरठ में भी इसी तरह का एक मामला सामने आया था। यहां एक महिला सरकारी एंबुलेंस न मिलने पर अपनी बेटी के शव को रातभर गोद में लेकर अस्पताल में बैठी रही। बागपत जिले के गांव गौरीपुर निवाड़ा निवासी इमराना की ढाई साल की बेटी गुलनाद वायरल बुखार से पीड़ित थी। इमराना के अनुसार पहले उसने बागपत में ही बेटी का इलाज कराया, लेकिन जब बेटी को आराम नहीं हुआ तो वह बागपत से अपनी बच्ची को लेकर मेरठ आ गई। बच्ची की हालत बिगड़ने पर उसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। लेकिन, वहां पहुंचते ही चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। वहां करीब दो घंटे तक वह आपातकालीन वार्ड के बाहर खड़ी सरकारी एबुंलेंस के चालक से बच्ची के शव को अपने गांव ले जाने की गुहार लगाती रही। लेकिन एबुलेंस चालक ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि एंबुलेंस को दूसरे जनपद में ले जाना नियम के खिलाफ है।