लखीमपुर हिंसा मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत को सुप्रीम कोर्ट (एससी) ने रद्द कर दिया है। मुख्य न्यायधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने ये फैसला सुनाया है। फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इलाहबाद हाई कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी भी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहबाद हाईकोर्ट ने पीड़ित पक्ष को नहीं सुना था और कोर्ट ने जल्दबाजी में जमानत दी थी। एससी ने एक हफ्ते के अन्दर आशीष मिश्रा को सरेंडर करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद याचिकाकर्ता शिव कुमार ने एक समाचार चैनल से बात करते हुए कहा कि, “सुप्रीम कोर्ट ने उनके (आशीष मिश्रा) सारे बेल बांड कैंसिल कर दिए हैं और 1 हफ्ते के अन्दर उन्हें सरेंडर करने को बोला है। साथ ही एससी ने हाईकोर्ट को फिर से फ्रेश सुनवाई करने को कहा है। अगर हाई कोर्ट में पीड़ित पक्ष को सुना जाता तो शायद उन्हें बेल न मिलती और ये बात एससी ने भी कही है कि पीड़ित पक्ष को नहीं सुना गया।”
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर ने एक समाचार चैनल से बात करते हुए कहा कि, “हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। 8 लोगों की हत्या होने के बाद भी अगर बेल मिल जाए तो ये दुर्भाग्यपूर्ण है। कोर्ट ने जो फैसला दिया है वो बहुत सही फैसला है और किसानों को न्याय तभी मिलेगा जब आरोपी को सजा मिल जाए।”
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर योगेन्द्र यादव ने ट्वीट कर प्रसन्नता जाहिर की और जमानत रद्द करने की मांग करने वाले याचिकाकर्ता की ओर से पेश होने वाले वकीलों को शुक्रिया कहा। योगेन्द्र यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, “देर है, मगर अंधेर नहीं,कम से कम इस केस में। शुक्रिया प्रशांत भूषण और दुष्यंत दवे जी।” याचिका पर पीड़ित की ओर से सीनियर अधिवक्ता प्रशांत भूषण और दुष्यंत दवे पेश हुए।
4 अप्रैल को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को सुना था और फैसले को सुरक्षित रख लिया था। 10 फरवरी को इलाहबाद हाईकोर्ट ने आशीष मिश्रा को जमानत दी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस जमानत पर सवाल उठाये थे।