झारखंड के बाद अब यूपी की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने साहूकारी अधिनियम को समाप्त करने की तैयारी शुरू कर दी है। कानून को विधानमंडल से खत्म कराने की कार्यवाही शुरू करने का फैसला किया गया है। इसके बाद पुराने लाइसेंस का रिन्यूअल व नया जारी करने पर रोक लग जाएगी। इस फैसले से गरीब तबके के लोगों को साहूकारों के शोषण से निजात मिल सकेगी।

हालांकि, उत्तप प्रदेश का वित्त महकमा इस कानून को बनाए रखने को लेकर बल दे रहा था। लेकिन चीफ सेक्रेट्री की बैठक में पाया गया कि वर्तमान परिस्थितियों में यह कानून अप्रासंगिक हो गया है। उसके बाद सीएम योगी की रजामंदी पर इसे समाप्त करने पर सहमति बन गई। अब इसे राज्य कैबिनेट की अनुमति से विधानमंडल से पारित कराने की कार्यवाही कराई जाएगी।

सरकार का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने भी साहूकारी कानून की प्रासंगिकता को लेकर कुछ सुझाव दिए थे। इस कानून के हटने के बाद लोगों को काफी राहत मिलेगी, क्योंकि इसके अस्तित्व में होने से ही वो शोषण का शिकार बन रहे थे।

1976 में बना था साहूकार अधिनियम

उत्तर प्रदेश साहूकार अधिनियम 1976 की घोषणा के समय बैंकिंग सेवाओं के साथ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का लाभ ग्रामीण क्षेत्रों तक नहीं पहुंच पा रहा था। साहूकार का लाइसेंस ज्यादातर सुनार हासिल करते रहे हैं। वो काफी ऊंची ब्याज दरों पर सोने के गहनों पर कर्ज उपलब्ध कराते रहे हैं। वो लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर अपनी तिजोरी भरते हैं। जबकि रिजर्व बैंक ने विभिन्न बैंकों और विभिन्न वित्तीय संस्थानों को सोने के मूल्य का 90 प्रतिशत तक ऋण देने की व्यवस्था की है।

उत्तर प्रदेश साहूकारी अधिनियम 1976 के मुताबिक साहूकारी के लिए लाइसेंस लेना जरूरी है। यह लाइसेंस एक साल के लिए मिलता है और हर साल इसका नवीनीकरण होता है। इसके तहत साहूकार प्रतिभूत ऋण यानी कोई वस्तु गिरवी रखकर लिए गए ऋण पर 14% वार्षिक ब्याज ले सकते हैं। लेकिन देखा जा रहा था कि ये साहूकार इससे भी ज्यादा ऊंची दरों पर कर्ज दे रहे थे। लोग जरूरत के चलते उनके शिकंजे में फंसने को मजबूर थे। कर्ज न चुका पाने पर खुदकुशी जैसे मामले भी सामने आ रहे थे।

आम लोगों की तकलीफ को देखते हुए सरकार ने बीते समय में शासन ने जिला प्रशासन को साहूकारी का लाइसेंस लेने वालों का ब्योरा तलब किया था। उन्होंने कितने लोगों को रुपया दिया है और उस पर कितना ब्याज ले रहे हैं, इसकी पूरी रिपोर्ट उपलब्ध तलब की गई थी। सरकार का कहना था कि मनमाने ब्याज पर रुपया उपलब्ध कराने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।