कहने को तो कानपुर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का गृह जिला है। इसे लेकर वो कई बार काफी संजीदा भी दिखे। लेकिन लगता नहीं कि सरकार को कोई ज्यादा इसकी परवाह है। कानपुर देहात के एक स्कूल का हाल देखकर तो यही लगा। बच्चे पढ़ाई क्या करते होंगे जब शिक्षक ही उन्हें सफाई कर्मी बनाने पर तुले हों।

मामला कानपुर देहात के अकबरपुर क्षेत्र में स्थित संगसियापुर के प्राथमिक स्कूल का है। यहां खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ती दिखीं। बच्चों से स्कूल में साफ सफाई का काम लिया जा रहा है तो विद्यालय में गैस सिलेंडर आवंटित होने के बावजूद लकड़ी जलाकर खाना बनाया जाता है। इसमें भी बच्चों का योगदान होता है।

न्यूज 24 के एक वीडियो में दिखा कि कैसे एक छोटी क्लास का बच्चा स्कूल में झाड़ू लगा रहा है। शिक्षक बेपरवाह होकर यहां से वहां घूमते देखे जाते हैं। क्लास लगी हैं लेकिन उनका क्या मतलब रह गया जब बच्चों से सफाई कर्मी का काम लिया जा रहा हो। स्कूल में कुत्ते भी बड़े आराम से चहल कदमी करते देखे जाते हैं।

सोशल मीडिया पर इसके लिए लोगों ने सरकार की जमकर खिंचाई की। एक यूजर ने लिखा कि ये स्कूल की अच्छी पहल है। गगनचुम्बी गैस की कीमतों की वजह से गैस चूल्हे पर खाना पकाने की आदत नहीं रही। लकड़ी ज्यादा ठीक है। बड़े होकर बच्चे करेंगे क्या? रोजगार शून्य है। साफ-सफाई करना सीख लें। कम से कम स्वच्छ्ता अभियान तो कायम रहेगा। एक ने लिखा कि योगी और मोदी सरकार के झूठे वादे देश प्रदेश भुगत रहा है।

सुजीत सचान ने एक बदहाल स्कूल की फोटो पोस्ट कर कहा कि ये कानपुर देहात के सभी स्कूलों की हालत बहुत बुरी है। ये मेरे घर के पास के सरकारी स्कूल की फोटो है। एक का कहना था कि सरकारी स्कूल तकरीबन हर जगह बदहाल हैं। लेकिन अंध भक्तों को नहीं नजर आएगा। उनका कहना था कि बच्चों से काम कराना कोई नई बात नहीं। शिक्षक इसे अपना अधिकार समझते हैं पर बड़ी बड़ी बातें करने वाली योगी सरकार क्या कर रही है।

एक यूजर ने स्कूल प्रबंधन के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि अपना घर द्वार कौन साफ़ नहीं करता है? मंदिर तो अवश्य ही साफ किया जाता है और स्कूल तो बच्चों के लिए मंदिर ही है।