अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में पाकिस्तान के कायदे-आजम मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर विवादों के चलते अब अपने स्थान से गायब हो गई है। इसपर यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि परिसर में सफाई की जा रही है। जिसके चलते जिन्ना की तस्वीर भी हटाई गई है। तस्वीरों को साफ किया जा रहा है, लेकिन किसी तस्वीर हटाया नहीं गया है। मामले में यूनिवर्सिटी के एक अधिकारी का कहना है कि जिन्ना सहित पांच-छह अन्य लोगों की तस्वीरों को भी हटाया गया है। इनकी सफाई की जा रही है। दूसरी तरफ कथित तौर पर तस्वीर हटाए जाने पर मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना महमूद मदनी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, ‘भारत के मुसलमानों ने जिन्ना को नकार दिया। जिन्ना की विचारधारा और विभाजन को भारत के मुसलमानों ने नकार दिया। हम ऐसी किसी चीज की उपस्थिति (जिन्ना की तस्वीर) के खिलाफ हैं। इसे हटाया जाना चाहिए।’ बता दें कि एएमयू में जिन्ना की तस्वीर होने पर विरोध लगातार तेज होने लगा था। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की हिंदू युवा वाहिनी ने जिन्ना की तस्वीर हटाने के लिए 48 घंटे का समय दिया था। हिंदू संगठन ने कहा कि दो दिन में तस्वीर नहीं हटाई गई तो वह खुद इसे हटाएंगे। हालांकि अब तस्वीर हटाए जाने पर मामला कुछ शांत होता नजर आ रहा है।
Muslims living in India rejected Jinnah, his ideology and partition. We are against the presence of such a thing (portrait of Jinnah) & it should be removed: Maulana Mehmood Madani, Jamiat Ulama-i-Hind on portrait of Muhammad Ali Jinnah inside campus of Aligarh Muslim university pic.twitter.com/sWhmTeJCvT
— ANI (@ANI) May 2, 2018
दरअसल जिन्ना की तस्वीर को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब पिछले सप्ताह आरएसएस कार्यकर्ता अमीर रशीद ने वाइस चांसलर को पत्र लिखकर यूनिवर्सिटी में संघ की शाखा आयोजित करने की मांग की थी। जिसके जवाब में यूनिवर्सिटी ने रशीद के ऐसे किसी भी प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया। कहा गया कि यूनिवर्सिटी में किसी भी शाखा और कैंप के आयोजन की अनुमति नहीं दी सकती है। इसके बाद भाजपा सासंद ने पूछा कि पाकिस्तान संस्थापक की तस्वीर स्टूडेंट यूनियन के ऑफिस में क्यों लगाई है। हालांकि कांग्रेस सासंद ने भाजपा नेता के इस बयान को मुद्दों से भटकाने वाला बताया था। बाद में जिन्ना की तस्वीर पर विवाद इतना बढ़ गया कि प्रशासन को खुद सफाई देनी पड़ी। विश्वविद्यालय के प्रवक्ता शफी किदवई ने मंगलवार (1 मई, 2018) को कहा कि जिन्ना यूनिवर्सिटी कोर्ट के संस्थापक सदस्य थे। उन्हें 1938 में एमएमयू की लाइफटाइम मेंबरशिप दी गई थी। जिन्ना 1920 में यूनिवर्सिटी कोर्ट के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। साथ ही वह इसके दानदाताओं में से भी एक थे।