उत्तर प्रदेश में विधानसभा परिषद की दो सीटों पर विधानपरिषद उपचुनाव होने वाले थे। बीजेपी ने दो उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, लेकिन समाजवादी पार्टी ने तीसरा उम्मीदवार उतार दिया, जिसकी वजह से मुकाबला रोमांचक होने की उम्मीद थी। लेकिन चुनाव आयोग ने समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार कीर्ति कोल का पर्चा रद्द कर दिया, जिससे बीजेपी के दोनों उम्मीदवारों की निर्विरोध जीत हो गई।

वहीं इसके बाद समाजवादी पार्टी के नेताओं ने बीजेपी पर आरोप लगाया था कि बीजेपी ने पर्चा रद्द करवाया है। लेकिन अब समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने पहली बार इस मुद्दे पर खुलकर बोला है। अखिलेश यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह खबर पुरानी हो गई है। लेकिन वह स्वीकार करते हैं कि यह उनके ऑफिस की ही गलती थी।

बता दें कि विधान परिषद उपचुनाव के लिए बीजेपी ने धर्मेंद्र सिंह सैंथवार और निर्मला पासवान को उम्मीदवार बनाया था। वहीं समाजवादी पार्टी ने आदिवासी समाज की महिला नेता कीर्ति कोल को उम्मीदवार बनाया था। सपा उम्मीदवार के मैदान में न होने के कारण बीजेपी के उम्मीदवारों की निर्विरोध जीत हो गई। विधान परिषद चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम उम्र 30 वर्ष होनी चाहिए लेकिन कीर्ति कोल ने अपनी उम्र नामांकन में 28 वर्ष दिखाई थी। उम्र कम होने की वजह से सपा उम्मीदवार कीर्ति पटेल का नामांकन रद्द हो गया था। कीर्ति कोल ने सोमवार यानी 1 अगस्त को नामांकन भरा था, लेकिन 2 अगस्त को उनका पर्चा रद्द हो गया था।

कीर्ति कोल समाजवादी पार्टी महिला सभा की राष्ट्रीय सचिव भी है। सपा ने कीर्ति कोल को उम्मीदवार बनाकर यह सन्देश देने की कोशिश की थी कि सपा आदिवासी विरोधी नहीं है दरअसल राष्ट्रपति चुनाव में समाजवादी पार्टी ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का समर्थन किया था और एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को वोट नहीं दिया था। इस कारण समाजवादी पार्टी पर उनके विरोधी दल आदिवासी विरोधी होने का आरोप लगा रहे थे।

बता दें कि सपा के सदस्य अहमद हसन के निधन और बीजेपी नेता ठाकुर जयवीर सिंह के इस्तीफे के कारण विधान परिषद सीट खाली हुई थी। अब विधानपरिषद में बीजेपी के सदस्यों की संख्या 75 हो गई है।