उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर हिंदू युवा वाहिनी ने 3 अगस्त को प्रदेश में अपनी सभी संगठनात्मक इकाइयों को भंग कर दिया। सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इस संगठन के 2024 के चुनाव से पहले पुनर्गठन की संभावना है क्योंकि यह योगी आदित्यनाथ के साथ काफी करीब से जुड़ा हुआ है।
वर्ष 2002 में गठित हुई हिन्दू युवा वाहिनी बंद होने के बाद, इसे दूसरे नाम से संचालित किया जा सकता है। हालांकि सूत्र ने बताया कि इसके लिए सदस्यता नियम काफी सख्त होंगे और इसमें मजबूत पुरुषों को रखा जाएगा और यह लाठी लेकर चलेंगे। हालांकि इसका उद्देश्य पहले की तरह ही हिंदू हितों को ध्यान में रखना और उसकी रक्षा करना होगा।
सूत्रों ने बताया कि विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ एक नई वाहिनी के लिए सदस्यता और पदाधिकारियों की नियुक्ति के नियमों के साथ उपनियम तैयार करने में लगे हुए हैं। सूत्रों ने यह भी कहा कि छवि बदलाव के हिस्से के रूप में, संगठन “सेवा और व्यावसायिक वर्गों” और सामाजिक संगठनों के सदस्यों को शामिल करने पर भी विशेष ध्यान देगा।
भाजपा के पूर्व विधायक और हिन्दू युवा वाहिनी के पूर्व प्रदेश प्रभारी राघवेंद्र सिंह ने द संडे एक्सप्रेस को बताया, “हमने युवा वाहिनी को भंग कर दिया क्योंकि पिछले पांच वर्षों में इसी तरह के नाम वाले कई अन्य संगठन सामने आए थे और इसी तरह की गतिविधियों में शामिल थे। पुनर्गठन एक या दो महीने में किया जाएगा।” सूत्रों ने बताया कि हिन्दू युवा वाहिनी के पुनर्गठन के फैसले को भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की सहमति मिली है।
योगी आदित्यनाथ ने 2002 में हिंदू संस्कृति और गोरक्षा के लिए काम करने के लिए एक संगठन के रूप में हिन्दू युवा वाहिनी की स्थापना की थी। 2017 के चुनावों के बाद योगी आदित्यनाथ के सीएम के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से उत्साहित संगठन अपने सदस्यों के साथ सतर्क हो गया था। योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने में हिंदू युवा वाहिनी का अहम योगदान था।
2017 में बीजेपी की सरकार बनने से पहले प्रदेश में हिंदू युवा वाहिनी संगठन काफी सक्रिय था और इसके कई सदस्यों के खिलाफ मामले भी दर्ज किए गए थे, जो चर्चा का विषय बने रहते थे।